डेराबस्सी न्यायिक परिसर का निर्माण यकीनी बनाएं : बार एसोसिएशन
बैठक में वकीलों ने बीते 11 वर्ष से लंबित न्यायिक परिसर बनाए जाने की पुरजोर मांग की।
संवाद सहयोगी, डेराबस्सी : हाई कोर्ट के इंस्पेक्टिग जज अमित रावल ने वीरवार को डेराबस्सी सब डिविजन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट (एसडीजेएमसी) का वार्षिक निरीक्षण किया। इस दौरान बार एसोसिएशन के सदस्यों के साथ हुई बैठक में वकीलों ने बीते 11 वर्ष से लंबित न्यायिक परिसर बनाए जाने की पुरजोर मांग की। प्रस्तावित ज्यूडिशियल कोर्ट कांप्लेक्स जवाहरपुर गांव की आठ एकड़ पंचायती जमीन में तैयार होना है। बार एसोसिएशन के प्रधान नितिन कौशल, सचिव राजेश सागर और उपप्रधान गुरजंट सिंह चौहान ने इंस्पेक्टिग जज के आगे वकीलों की समस्याएं रखते हुए कहा कि डेराबस्सी तहसील कांप्लेक्स में मौजूदा अदालतों के बाहर तहसील रोड पर पार्किग की बहुत बड़ी समस्या है। इससे अकसर जाम जैसी स्थिति बनी रहती है। इसके अलावा मौजूदा तहसील कांप्लेक्स में स्टाफ रूम, ज्यूडिशियल अफसर के रूम भी बहुत छोटे हैं। लाइब्रेरी का कोई बंदोबस्त नहीं है और कोई बार रूम भी नहीं। सबसे बड़ी समस्या ऑनलाइन सर्वर सिस्टम की है जिसके चलते यहां लगने वाले रोजाना के केस अपडेट नहीं किए जा पा रहे हैं। इससे अदालती कामकाज के बारे में लोगों को ऑनलाइन सुविधा का कोई फायदा नहीं मिल रहा। इंस्पेक्टिंग जज अमित रावल ने जल्द ही ज्यूडिशियल कांप्लेक्स निर्माण के मसले को पूरा करने का भरोसा दिया। जवाहरपुर में इसके लिए जमीन फाइनल हो चुकी है और वहां जल्द ही वकीलों की समस्याओं के मद्देनजर ज्यूडिशियल कांप्लेक्स के निर्माण की शुरुआत यकीनी बनाई जाएगी। मौके पर डेराबस्सी की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सीनियर डिविजन पमेलप्रीत ग्रेवाल काहल, मजिस्ट्रेट जसमीत सिंह व मजिस्ट्रेट गौरव दत्ता, एडवोकेट विक्रांत, अनमोल सिंह, भारत भूषण, रमन बांसल, जसवंत तूड़, अशोक राणा, कुलजिदर संधू, मनमोहन चौधरी भी मौजूद थे। कोर्ट के कारण बढ़ी ट्रैफिक व पार्किग समस्याएं
इन तीन न्यायिक अदालतों के कारण कांप्लेक्स की इमारत व पार्किग स्थल पहले ही छोटा पड़ गया है। वाहन बाहर सड़क व गली-मोहल्लों में घरों के आगे खड़े करने पड़ते हैं जिससे तहसील रोड पर रोजाना ट्रैफिक जाम लगा रहता है। स्थानीय व ग्रामीण लोग, सियासी दल, सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं यहां कोर्ट कांप्लेक्स को ट्रैफिक जाम व पार्किग की समस्या के चलते शिफ्ट करने की मांग करते आ रहे हैं। खुद जज, वकील, प्रशासनिक अधिकारी तक इस जाम के शिकार होते आ रहे हैं।