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बसपा यूपी का फार्मूला अब पंजाब में अपनाएगी, 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए बनाई खास रणनीति

पंजाब में बहुजन समाज पार्टी ने अपना दायरा बढ़ाने के लिए खास रणनी‍ति तैयार की है। इसके तहत वह राज्‍य में सभी वर्गों को साथ लेकर अपना दायरा बढ़ाएगी। बसपा ने यह रणनीति अगले साल होनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बनाई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 08:46 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 09:20 AM (IST)
बसपा यूपी का फार्मूला अब पंजाब में अपनाएगी, 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए बनाई खास रणनीति
मायावती की पार्टी बसपा ने उत्‍तर प्रदेश की तजर् पर पंजाब के लिए भी रणनीति बनाई है। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। बहुजन समाज पार्टी अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में अपना दम दिखाने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके लिए पार्टी ने खास रणनीति बनाई है। पार्टी उत्तर प्रदेश के तर्ज पर यहां काम करेगी और सभी वर्गों को साथ लेकर अपना दायरा बढाएगी। इसी रणनीति के तहत अब तक दलित राजनीति में सक्रिय रहने वाली बसपा अब पंजाब में सर्व धर्म की भी बात करने लगी है। शिरोमणि अकाली दल के साथ समझौते के बाद बसपा 24 सालों से पंजाब विधानसभा में अपना सूखा खत्म करने की कोशिश में है। बसपा जिन 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उसमें से 12 सीटें जनरल कोटे से हैं। इन सीटों पर दमदार उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए बसपा सभी वर्गो को प्रतिनिधित्व देने के लिए सक्रिय हो गई है।

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पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में दिखाना चाहती है दम, सर्व धर्म का साथ लेकर पंजाब में बढ़ाएगी रसूख

पार्टी सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश में सर्व धर्म की नीति अपनाने वाली बसपा पंजाब में भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगी। इसे लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के महासचिव सतीश मिश्रा को ब्राह्मण समाज से संपर्क बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी है।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही पंजाब में भी देंगे सभी वर्गों को तरजीह

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जसबीर ¨सह गढ़ी ने कहा कि जो नीति उत्तर प्रदेश में अपनाई जा रही है वही पंजाब में भी लागू होगी। बसपा समाज के हरेक वर्ग को साथ में लेकर सर्व धर्म की बात करती है। अगर अभी की बात करें तो जनरल सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों की लिस्ट काफी लंबी है।

कभी दलित राजनीति तक सीमित रहने वाली बसपा पिछले 20 साल से पंजाब की राजनीति में अपना दम नहीं दिखा पाई है। बसपा ने 1992 में नौ सीटें जीत कर सबको चौंका दिया था। उस समय शिरोमणि अकाली दल ने इस चुनाव का बहिष्कार किया था और कांग्रेस ने सबसे अधिक 87 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी।

इसके बाद 1997 में बसपा फिर एक सीट पर सिमट गई। पिछले चार विधानसभा चुनाव में बसपा खाता भी नहीं खोल पाई। 20 वर्षों में पंजाब में बसपा की छवि वोट कटुआ के रूप में बनी रही, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर अकाली दल से समझौता होने के बाद पार्टी में एक बार फिर से नया उत्साह देखने को मिल रहा है।

ये जनरल सीटें आईं बसपा के हिस्से

शिरोमणि अकाली दल के साथ हुए समझौते के बाद बसपा को 20 सीटें मिली हैं। इनमें जालंधर नार्थ, होशियारपुर, उड़मुड़, दसूहा, नवांशहर, लुधियाना (नार्थ), पठानकोट, सुजानपुर, श्री आनंदपुर साहिब, अमृतसर (नार्थ), अमृतसर (सेंट्रल) और एसएएस नगर (मोहाली) 12 जनरल सीटें भी शामिल हैं।


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