..जीवन के सभी गीत पिरो दिए इस किताब में
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जीवन के हर पल में गीत हैं। ये खुशी, गम, उल्लास और हर रंग में मौजूद है
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जीवन के हर पल में गीत हैं। ये खुशी, गम, उल्लास और हर रंग में मौजूद हैं। बस इसे समझने और देखने की एक नजर चाहिए, जो इन्हें शब्दों के रूप में कागज पर उतार दें। मेरे जीवन में भी कई चीजें रही, गम, खुशी हर तरह के रंग। इन सभी रंगों को एक किताब में उतारा तो ये जीवन के गीत बन गए और खुशी इस बात की है कि इसे खुद चंडीगढ़ साहित्य अकादमी ने पुरस्कृत किया। गीतकार विजय लक्ष्मी भारद्वाज अपनी पहली किताब भावों का पंछी को मिली कामयाबी के उत्साह काइस अंदाज में साझा करती हैं। हाल ही में अकादमी ने उन्हें बेस्ट बुक का सम्मान दिया। बेटे की जिद ने लिखवाई पहली किताब
विजय लक्ष्मी ने बताया कि उनकी पढ़ाई में ही संगीत रहा है। बीए की पढ़ाई के दौरान मैंने संगीत एक विषय के तौर पर लिया। मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर के इंटर कॉलेज में पढ़ाया भी। यहां मैंने अपने भजन लिखने शुरू किए। ये भजन इतने प्रचलित हुए कि कॉलेज ने इन्हें अपनी प्रार्थना में शामिल कर लिया। हालांकि उन दिनों जो भी गीत लिखे, उन्हें कभी प्रकाशित करने की सोची नहीं। मेरे पति का गुजरना मेरी जिंदगी में काफी गम भर गया। इस गम ने मेरे गीतों में काफी दर्द भरा। मेरा बेटा विशाल भटनागर जो गवर्नमेट आर्ट म्यूजियम में ही कार्यरत है, उसने मुझे कहा कि इन गीतों को किताब के रूप में लोगों तक क्यों नहीं पहुंचाते। इसके बाद मैंने इसे गंभीरता से लिया और जिंदगी भर लिखे 82 गीतों को किताब भावों के पंछी में प्रकाशित किया। मुझे यकीन नहीं हुआ जब अकादमी ने इसे गीतों की श्रेणी में बेस्ट बुक से नवाजा। यकीनन आपको सम्मान प्रोत्साहित करता है कुछ करने के लिए। ऐसे में इस सम्मान ने ही मुझमें इतनी खुशी भरी कि मैंने कई नए गीत फिर से लिख डाले। उम्मीद है इन गीतों को जल्द ही किताब के रूप में प्रकाशित करूं।