दिव्यांगता को पीछे छोड़ आइबीएसए चैंपियनशिप में ब्लांइड स्कूल के छात्रों ने जीते 20 मेडल
दिव्यांग छात्रों ने 25 राज्यों के खिलाड़ियों को पीछे छोड़कर मेडल जीते हैं। दिल्ली में आयोजित 21वीं आइबीएसए नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप -2018 में स्कूल ने 20 मेडल और दो ट्राफियां जीती हैं।
चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद.... यह शब्द सेक्टर -26 के इंस्टीट्यूट ऑफ ब्लांइड के मेडल विजेता खिलाड़ियों पर बिल्कुल सटीक बैठते हैं। अक्सर नेत्रहीनों के बारे में हर किसी की यही धारणा रहती है कि उन्हें चलने फिरने के लिए सहारे की जरूरत होती है, लेकिन इन दिव्यांग छात्रों ने 25 राज्यों के खिलाड़ियों को पीछे छोड़कर मेडल जीते हैं।
दिल्ली में आयोजित 21वीं इंडियन ब्लांइड स्पोर्ट्स एसोसिएशन (आइबीएसए) नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप -2018 में स्कूल ने 20 मेडल और दो चैंपियनशिप ट्राफियां जीती हैं। स्कूल टीम ने 7 गोल्ड मेडल, 5 सिल्वर मेडल और 8 ब्रांज मेडल जीते हैं। इसके अलावा वूमेन बी-1 कैटेगरी और गर्ल्स कैटेगरी बी-1 कैटेगरी में चैंपियनशिप ट्राफी भी अपने नाम की है। ब्लांइड इंस्टीट्यूट के चेयरमैन रिटायर्ड मेजर जनरल राजेंद्रनाथ ने इसे स्कूल के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।
ब्लाइंड स्कूल के कोच राकेश ने बताया कि विजेता खिलाडिय़ों में 6 खिलाड़ी बी-1 कैटेगरी में खेले हैं। इस कैटेगरी के खिलाड़ी पूरी तरह से ब्लाइंड होते हैं, जबकि रेखा और कुसुम बी-2 कैटेगरी में हिस्सा लिया था, इस कैटेगरी के खिलाड़ी डेढ़ से दो मीटर तक धुंधला देख सकते हैं। ऐसे में इन खिलाडिय़ों की यह जीत साधारण नहीं है।
यह खिलाड़ी रहे चैंपियन
- आठवीं नौंवी में पढऩे वाली राधिका ने चार मेडल जीते। राधिका ने 400 मीटर रिले, 1500 और 800 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता, जबकि 400 मीटर रेस में ब्रांज मेडल जीता। राधिका ने बताया कि उनका परिवार यूपी के गोरखपुर के रहने वाले हैं, लेकिन उसके पिता पंचकूला में मिस्त्री का काम करते हैं।
- दसवीं में पढऩे वाली वृंदा ने इस टूर्नामेंट में तीन मेडल जीते। वृंदा ने 800मीटर रेस में गोल्ड, 400 मीटर रिले में सिल्वर और 800 मीटर रेस में ब्रांज मेडल जीता। वृंदा अंबाला के सरंदेड़ी गांव की रहने वाली है और उसके पिता दुकानदार हैं। वृंदा ने बताया कि वह पढ़ाई पूरी करके बैंकिंग सेक्टर में जॉब करना चाहती है।
- आठवीं कक्षा में पढऩे वाली ऊषा ने तीन मेडल जीते। ऊषा ने 400 मीटर रिले में गोल्ड मेडल,1500 मीटर और 800 मीटर में सिल्वर मेडल जीता है। हरियाणा के रामगढ़ की रहने वाली ऊषा ने बताया कि उसके पिता का देहांत हो चुका है और उसकी मां ही उसका पालन पोषण करती हैं। ऊषा ने बताया कि वह खूब पढऩा चाहती है।
- सातवीं कक्षा में पढऩे वाली रेखा ने टूर्नामेंट में तीन मेडल जीते। रेखा ने 400 मीटर रिले में गोल्ड मेडल,1500 मीटर और 800 मीटर में ब्रांज मेडल जीता। यूपी के मुरादाबाद की रहने वाली रेखा चंडीगढ़ में अपने भाई के पास मौलीजागरां में रहती है। रेखा ने बताया कि वह टीचर बनाना चाहती है।
- नौवीं में पढऩे वाली रेखा ने दो मेडल जीते। रेखा ने 800 मीटर रेस में सिल्वर मेडल और 1500मीटर रेस में ब्रांज मेडल जीता। युमनानगर की रहने वाली रेखा के पिता के टेलर हैं। रेखा टीचर बनना चाहती है।
- सातवीं में पढऩे वाली कुसम ने इस टूर्नामेंट में 3 मेडल जीते। कुसुम ने 400 मीटर रिले में गोल्ड मेडल, 1500मीटर रेस में सिल्वर मेडल और 800मीटर रेस में ब्रांज मेडल जीता। हिमाचल प्रदेश के नाहन में रहने वाली कुसुम के पिता ड्राइवर हैं और कुसुम सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती है।
- 11वीं में पढऩे वाले गुरजोत ने 1500 मीटर में ब्रांज मेडल जीता है। अंबाला में रहने वाले गुरजोत ने बताया कि वह स्पोर्ट्स में अपना कैरियर बनाना चाहता है। गुरजोत के पिता ड्राइवर हैं। छठी में पढऩे वाले अभिषेक ने 1500 मीटर रेस में ब्रांज मेडल जीता।