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खांसी के साथ खून आए तो हो सकता है लंग कैंसर, जानें कैसे करें बीमारी से बचाव

खांसी के साथ अगर खून आए तो यह लंग कैसर के लक्ष्ण हाे सकते हैं। इसे गंभीरता से लें अन्यथा यह जानलेवा साबित हाे सकता है। ऐसा ही एक मामला चंडीगढ़ में सामने आया है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 02:45 PM (IST)
खांसी के साथ खून आए तो हो सकता है लंग कैंसर, जानें कैसे करें बीमारी से बचाव
खांसी के साथ खून आए तो हो सकता है लंग कैंसर, जानें कैसे करें बीमारी से बचाव

चंडीगढ़, जेएनएन। खांसी के साथ अगर खून आए तो यह लंग कैसर के लक्ष्ण हाे सकते हैं। इसे गंभीरता से लें अन्यथा यह जानलेवा साबित हाे सकता है। एेसा ही एक मामला चंडीगढ़ में सामने आया है। कुछ समय पहले चंडीगढ़ निवासी पूर्व क्रिकेटर अनिल अपने बेटे की शादी में आए हुए मेहमानों के साथ व्यस्त थे, तभी अचानक उनको खांसी के साथ खून आने लगा।

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कुछ ही पलों में उनका पूरा हाथ खून के साथ भर गया। परिजनों ने उन्हें यहां के एक अस्पताल पहुंचाया जहां उनके फेफड़ों का इलाज किया गया। कुछ दिन ठीक रहने के बाद उन्हें दोबारा यह समस्या आई तो किसी परिचित के माध्यम से उन्होंने बैंगलुरू स्थित नारायाणा हेल्थ सिटी में पल्मोनोलोजी इंटेसिव केयर, मेडिकल निदेशक लंग ट्रांसप्लांट डाक्टर बाशा जे खान के साथ संपर्क किया।

ऐसे पकड़ में आई बीमारी

इस दाैरान प्रारंभिक जांच में बताया कि अनिल को क्रोनिक थ्रोम्बोएम्बोलिक पल्मोनरी हाइपरटेंशन (सीटीईपीएच) नामक गंभीर बीमारी है। चंडीगढ़ निवासी अनिल कुमार पूर्व क्रिकेटर रहे हैं और 80 के दशक में रणजी भी खेल चुके हैं। अनिल कुमार का सफल आप्रेशन करने वाले डॉ. बाशा जे खान व डॉ. जूलियस पुन्नेन ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह गंभीर बीमारी है। समय में उपचार के अभाव में यह लंग कैंसर में बदल सकती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि मेडिकल साइंस में इस बीमारी को डाईगनोज किया जाना मुश्किल है। क्योंकि शुरू में मरीजों के रेफरल सेंटर में आने से पहले अस्थमा, टीबी का इलाज किया जाता है। 

सात सौ पीटीई  सर्जरी कर चुके हैं डॉक्टर

अब तक अपनी टीम के साथ करीब सात सौ पल्मोनरी थ्रोम्बोइंडरटरएक्टोमी (पीटीई) सर्जरी कर चुके डॉक्टर खान व पुन्नेन ने बताया कि सीटीईपीएच आमतौर पर गंभीर रक्त के क्लोट्स के कारण होता है। फेफड़ों में टिश्यू बनकर पल्मोनरी वेसल्स का रास्ता बंद कर देते हैं। पीटीई में इन्हीं क्लोट्स को निकालने का काम किया जाता है। उन्होंने बताया कि सीटीईपीएच डाईगनोज की तकनीक में कई तरह की आधुनिकताएं आई हैं, जो रोगियों के लिए कारगर सिद्ध हो रही हैं।

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