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Punjab Assembly Election 2022: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ गठबंधन से पहले भाजपा करेगी अपनी ‘जमीन’ का आंकलन

Punjab Assembly Election 2022 कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) की नवगठित पार्टी का भाजपा से गठबंधन होना लगभग तय माना जा रहा है लेकिन इससे पहले भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जमीन तलाशने में जुटी हुई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 07:46 PM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 09:07 AM (IST)
Punjab Assembly Election 2022: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ गठबंधन से पहले भाजपा करेगी अपनी ‘जमीन’ का आंकलन
पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Punjab Assembly Election 2022: भारतीय जनता पार्टी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की नवगठित पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का समझौता होना लगभग तय है। भाजपा कैप्टन के साथ गठबंधन करने से पहले पंजाब में अपनी ‘जमीन’ का आंकलन कर लेना चाहती है। किसान आंदोलन के दौरान केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित रही भाजपा को सही मायने में अभी यह भी नहीं पता है कि शहरी क्षेत्रों के बाहर उनकी असली स्थिति क्या है। यही कारण है कि भाजपा ने अब राज्य की सभी 117 विधान सभा क्षेत्रों में जाकर पर बूथ स्तर पार्टी की स्थिति का आंकलन करना शुरू किया है।

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यह फैसला पार्टी ने चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत दो दिन की बैठक के दौरान लिया। यही कारण है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार भाजपा के साथ गठबंधन करने की बात कर रहे हैं, लेकिन भाजपा ने अभी तक अपने तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कैप्टन तो यहां तक कह चुके हैं कि वह भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे।

कैप्टन ने एक इलेक्ट्रानिक मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि कांग्रेस के खिलाफ उनके पास काफी मैटेरियल है। कैप्टन के यह वक्तव्य साफ-साफ इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि वह भाजपा के लिए कितने कारगर साबित हो सकते हैं, क्योंकि कैप्टन चाहते हैं कि भाजपा जल्द से जल्द उनकी पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला ले, क्योंकि कैप्टन की पार्टी का अस्तित्व भाजपा के साथ गठबंधन करने पर ही टिका हुआ है।

कैप्टन ने भले ही अपनी पार्टी बना ली हो, लेकिन अभी तक उनके साथ कोई भी विधायक, सांसद या पूर्व विधायक व पूर्व सांसद नहीं जुड़ा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि गठबंधन से पहले हमें अपनी ताकत को आंकना है, क्योंकि अभी तक हम 23 सीटों पर ही चुनाव लड़ते रहे हैं। अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद यह पहला मौका है जब हम 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उसमें से भी काफी समय किसान आंदोलन के कारण निकल चुका है। इसलिए किसी भी प्रकार के गठबंधन से पहले सीटों का आंकलन जरूरी है।

वहीं, पार्टी सूत्र यह भी संकेत दे रहे हैं कि कैप्टन भले ही भाजपा के लिए लाभकारी साबित हों, लेकिन इससे पहले यह आंकलन कर लेना भी आवश्यक है कि उनके साथ कांग्रेस के कितने विधायक और सांसद हैं। हालांकि भाजपा को यह भी पता है कि जब तक आचार संहिता नहीं लागू होती तब तक तस्वीर स्पष्ट नहीं होगी। 


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