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Punjab Election 2022: सबसे लंबे समय तक पंजाब भाजपा अध्यक्ष रहे मदन मोहन मित्तल अकाली दल में शामिल

भाजपा के पंजाब में बड़े नेताओं में शामिल पूर्व मंत्री मदन मोहन मित्तल ने आज शिरोमणि अकाली दल का तराजू थाम लिया है जबकि बेटे अरविंद मित्तल बसपा में शामिल हुए। वह श्री आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ सकते हैं। यह सीट बसपा के खाते में है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 11:54 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 05:38 PM (IST)
Punjab Election 2022: सबसे लंबे समय तक पंजाब भाजपा अध्यक्ष रहे मदन मोहन मित्तल अकाली दल में शामिल
भाजपा नेता मदन मोहन मित्तल की फाइल फोटो।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब में भारतीय जनता पार्टी से सबसे लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे मदन मोहन मित्तल ने आज शिरोमणि अकाली दल का दामन थाम लिया है। उन्हें पार्टी मुख्यालय में अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी में शामिल किया। इस दौरान उनके बेटे अरविंद मित्तल ने भी शिअद की गठबंधन सहयोगी बसपा का दामन थाम लिया। अरविंद मित्तल को श्री आनंदपुर साहिब से टिकट मिल सकता है। यह सीट बसपा के खाते में है। 

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बता दें, मदन मोहन मित्तल भाजपा के इस समय सबसे बड़े नेता हैं। मित्तल का पिछली बार भी टिकट कट गया था और पार्टी ने परमिंदर शर्मा को यह टिकट दिया गया था, लेकिन वह कांग्रेस के राणा केपी सिंह से बुरी तरह चुनाव हार गए। इस बार मित्तल अपने बेटे के लिए इस सीट को लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थे, लेकिन पार्टी ने फिर से परमिंदर शर्मा को ही चुनावी मैदान में उतार दिया है, जिससे मित्तल बुरी तरह नाराज हैं।

पूर्व मंत्री अनिल जोशी के बाद मित्तल भाजपा के दूसरे बड़े नेता हैं जो शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुए हैं। भाजपा के नेता मित्तल के जाने को बड़ा झटका मान रहे हैं। उनका कहना है कि बलराम जी दास टंडन के बाद मदन मोहन मित्तल ही ऐसे नेता थे जिन्होंने पार्टी को पंजाब में खड़ा किया है। पार्टी के एक सीनियर नेता ने बताया कि आतंकवाद के दिनों में जब कोई भाजपा की बात नहीं करता था तब मदन माेहन मित्तल को पार्टी की कमान संभाली गई और वह सबसे लंबे समय तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं।

1997 में जब पार्टी सत्ता में लौटी तो उन्हें फूड एंड सप्लाई जैसा महत्वपूर्ण महकमा दिया गया। 2002 में चुनाव हार गए। 2007 में पार्टी ने अकाली दल के साथ मिलकर सत्ता में वापसी की तो मित्तल को फिर से कैबिनेट में शामिल किया गया। 2012 में जब अकाली-भाजपा गठबंधन दोबारा सत्ता में लौटा तो मित्तल फिर से मंत्री बने और सरकार में वह सेंकेड इन कमान थे।

तीन कृषि कानूनों को लेकर जब भाजपा का प्रदेश में बड़ा विरोध हो रहा था तो मित्तल ने ही पार्टी के लिए स्टैंड लिया हुआ था, इसलिए दो दिन पहले जब उनके बेटे की टिकट काटी गई तो हर किसी को काफी अचंभा हुआ।उनके कल ही शिरोमणि अकाली दल में शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐन मौके पर सुखबीर बादल ने प्रेस कान्फ्रेंस रद कर दी। आज फिर से प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई गई, जिसमें मित्तल शिअद में शामिल हुए।


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