भाजपा पार्षद कर देते हैं समस्याओं की बौछार, देखते ही खिसक जाते हैं अधिकारी
मेयर भी शहर में ठप पड़े कामों को लेकर आश्वासन दे देती हैं कि वह अधिकारियों से जरूर बात करेंगी। हालांकि यह बात जगजाहिर है कि नगर निगम फंड की कमी से जूझ रहा है।
चंडीगड़, [राजेश ढल्ल]। भाजपा पार्षद भरत कुमार, जब भी नगर निगम आते हैं वार्ड की समस्याओं की बौछार अधिकारियों पर करते हैं। निगम में वित्तीय संकट है। सभी काम ठप पड़े हैं। बावजूद इसके पार्षद अधिकारियों पर काम शुरू करने का दबाव डालते हैं। ऐसे में कई अधिकारी तो पार्षद भरत को देखते ही खिसक भी जाते हैं। पिछले सप्ताह तो पार्षद की चीफ इंजीनियर शैलेंद्र सिंह के साथ वार्ड में काम न होने पर बहस भी हुई। उस समय उनके साथ पार्षद शक्तिदेव शाली भी थे, जिन्होंने बीच बचाव किया और भरत कुमार को लेकर मेयर के पास पहुंचे ताकि उनका गुस्सा ठंडा हो सके। मेयर के पास पहुंचते ही मेयर भी समझ जाती हैं कि अब भरत कुमार कोई न कोई काम के बारे में जरूर बात करेंगे। लेकिन मेयर फंड की कमी होने के बावजूद आश्वासन दे देती हैं कि वह उनका काम करवाने के लिए अधिकारियों से जरूर बात करेंगी।
बड़े गुलदस्ते का फायदा?
पिछले वीरवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल का जन्मदिवस था। कोरोनाकाल के बावजूद बंसल के समर्थक उनके घर बधाई देने पहुंचे। ऐसे में पार्टी के एक सीनियर नेता गुलदस्ता खरीदने के लिए फूलों की एक दुकान पर पहुंचे। उसके आधा घंटे बाद एक और नेता उसी दुकान पर पहुंचे। दुकानदार को भी पता था कि बंसल साहब का जन्मदिन है। ऐसे में दुकानदार ने नेता से कहा, पहले आए नेता यह वाला गुलदस्ता लेकर बंसल के घर गए हैं। ऐसे में उस नेता ने बड़ा गुलदस्ता खरीद लिया। लेकिन असलीयत तो यह थी कि पहले आए सीनियर नेता को जब दुकानदार बड़ा गुलदस्ता दिखा रहा था कि तो उस नेता ने कह दिया कि यह तो एक औपचारिकता है, बंसल के घर पर फूलों के ढेर पहले से लगे होंगे। ऐसे में बंसल को भी पता नहीं होगा कि कौन सा नेता कौन सा गुलदस्ता दे गया। ऐसे में छोटा गुलदस्ता ही खरीदना बेहतर है।
कांग्रेस पार्षद दे दें इस्तीफा
17 जुलाई को वित्तीय संकट दूर करने और आय का साधन बढ़ाने के लिए नगर निगम की कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में भी सुझावों पर कम और कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीति ज्यादा हुई। कांग्रेस सदस्य सतीश कैंथ ने इस समय की स्थिति का पूरा ठिकरा भाजपा पर फोड़ा और कहा कि प्रशासन को नगर निगम को बंद कर देना चाहिए। इस पर पूर्व मेयर एवं भाजपा पार्षद राजेश कालिया ने कहा कि उनके पास एक आइडिया है, जिससे नगर निगम को बंद करने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने सतीश कैंथ को कहा कि कांग्रेस के पांच पार्षद इस मुद्दे पर इस्तीफा दे दें, तब प्रशासन पर फंड जारी करने का दबाव बन जाएगा। इतना सुनते ही एक फिर से सतीश कैंथ और राजेश कालिया के बीच हंगामा हो गया। एक अधिकारी ने गपशप करते हुए दूसरे अधिकारी को कहा कि बैठक समाधान के लिए नहीं, पार्षदों के बीच राजनीति चमकाने के लिए होती है।
अध्यक्ष बदलने की अफवाह जोरों पर
इस समय कांग्रेस नेताओं में अफवाह जोरों पर है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदलने वाला है। कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के विरोधियों ने बाजार में इस बात को हवा दी हुई है, लेकिन असल में इसमें सच्चाई कम ही दिख रही है। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है ताकि उनके विरोधी इकट्ठे हो सके। इस समय एक महिला नेता भी छाबड़ा के खिलाफ है। यहां तक कि नेता गपशप करते हुए कह देते हैं कि अगले अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस पार्षद दल के नेता देवेंद्र सिंह बबला और युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एचएस लक्की के नाम पर मंथन चल रहा है। अभी हाल ही में जब छाबड़ा गुट के नेताओं तक यह बात पहुंची तो उन्होंने ने भी दावा कर दिया कि जब तक प्रदीप छाबड़ा चाहेंगे वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहेंगे। असल में छाबड़ा को अध्यक्ष बने हुए पांच साल से ज्यादा समय हो गया है।