इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने अटकाया रोड़ा, चंडीगढ़ का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट लटका
चंडीगढ़ में वर्ष 2022 तक 69 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट का लक्ष्य पूरा होते नहीं दिख रहा। शहर के लोगों को इस बात का डर है कि कहीं प्रोजेक्ट डंप ही न कर दिया जाए।
चंडीगढ़, जेएनएन। पटियाला की राव पर लगने वाला शहर का सबसे बड़ा सोलर फोटोवोल्टिक पावर प्लांट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की लेटलतीफी की भेंट चढ़ गया है। दो साल से इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ा पाया। अब 2022 तक 69 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट का लक्ष्य पूरा होते नहीं दिख रहा। शहर के लोगों को इस बात का डर है कि कहीं प्रोजेक्ट डंप ही न कर दिया जाए। यह हाल तो तब है जब केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे चुकी है। इतना बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट न तो अभी तक न तो चंडीगढ़ में कहीं लगा है और न ही लग सकेगा।
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत और जगह को चिन्हित करने का काम चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन (क्रेस्ट) ने किया था। यह फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के तहत की काम करती है। साइट इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की है, इसलिए इस पर क्रेस्ट ने इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से एनओसी मांगी थी। लेकिन इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने एनओसी न देकर प्रोजेक्ट खुद लगाने की बात मीटिंग में कही। इसके बाद भी अब करीब डेढ़ साल बीत चुका है लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी।
लटकाने के लिए दिए जा रहे अजीब तर्क
पटियाला की राव पर ऊपर लोहे के एंगिल लगाकर सोलर पैनल लगाए जाने हैं। अब इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि सोलर पैनल से ढकने के बाद राव के पानी निकासी में दिक्कत आएगी। हालांकि राव में बरसात के दिनों में ही पानी रहता हैं। बाकी दिनों में यह सूखी रहती है। साथ ही पैनल गैप देकर लगाए जाने हैं जिससे निकासी और साफ-सफाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी। पटियाला की राव के साथ लगते एरिया को डेवलप कर खूबसूरत बनाने का प्रस्ताव भी था।
अभी तक सिर्फ 34 मेगावाट हो रही जेनरेट
मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूअल एनर्जी ने चंडीगढ़ प्रशासन को 2022 तक 69 मेगावॉट तक सोलर एनर्जी जेनरेट करने का लक्ष्य दिया है। अभी तक 34 मेगावॉट तक सोलर एनर्जी जेनरेट हो रही है। पटियाला की राव पर प्रोजेक्ट लगता है तो यह आसानी से पूरा हो जाएगा। बिना इसके संभव नहीं है। चंडीगढ़ की अधिकतर गवर्नमेंट बिल्डिंग कवर हो चुकी है। बहुत सी निजी इमारतों पर भी प्लांट लग चुके हैं। प्रशासन ने एक कनाल या उससे अधिक के घरों बिल्डिंग पर सोलर प्लांट लगाना अनिवार्य कर रखा है। बावजूद इसके लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा।
पटियाला की राव के प्रस्तावित सोलर फोटोवोल्टिक पावर प्लांट को इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने खुद लगाने के लिए लिया था। वह इस पर काम कर रहा है। क्रेस्ट ने इस पर काम शुरू किया था लेकिन बाद में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने खुद लगाने की इच्छा जताई। जिसके बाद अब उन्हीं के एंड पर फाइल है।
-देबेंद्र दलाई, सीईओ, क्रेस्ट।
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