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पंजाब में बड़ा सवाल- कैप्‍टन अमरिंदर कब तक बनाएंगे नई पार्टी, तीसरे मोर्चे में कौन-कौन होगा शामिल

Punjab Politics कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के अगले सियासी कदम को लेकर सस्‍पेंस बना हुआ है। संक‍ेत हैं कि कैप्‍टन अमरिंदर अपनी नई पार्टी बनाएंगे। इसके साथ ही सह भी बताया जा रहा है कि वह 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पंजाब में तीसरा मोर्चा बनाएंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 08:22 AM (IST)
पंजाब में बड़ा सवाल- कैप्‍टन अमरिंदर कब तक बनाएंगे नई पार्टी, तीसरे मोर्चे में कौन-कौन होगा शामिल
पंजाब के पूर्व मूख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab Politics: पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के अगले राजनीति कदम को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। पिछले दिनों कैप्‍टन ने कांग्रेस छोड़ने की बात तो कही थी, लेकिन अभी तक पार्टी से औपचार‍िक रूप से इस्‍तीफा नहीं दिया है। हालांकि कांग्रेस नेताओं रणदीप सुरजेवाला और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत के हमले के बाद अमरिंदर सिंह ने पलटवार किया है। उन्‍होंने कांग्रेस से कई सवाल भी पूछे हैं। संकेत मिल र‍हे हैं कि कैप्‍टन अमरिंदर जल्‍द ही अपनी पार्टी की घोषणा कर सकते हैं। इसके साथ ही पंजाब में अगले साल के शुरू में होनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए वह तीसरा मोर्चा बनाने की तैयारी में भी हैं।

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बताया जाता है कि नई पार्टी बनाने को लेकर वह अपने करीबी नेताओं और समर्थकाें के साथ विचार-विमर्श में जुटे हुए हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि वह पंजाब विकास पार्टी के नाम से नया दल बनाएंगे। अब यह भी पता चल रहा है कि कुछ और नाम पर भी‍ विचार हो रहा है। इसके साथ ही कैप्‍टन के नजदीकी सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्‍यमंत्री 2022 में होनेवाले पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर तीसरा मोर्चा भी बनाने की तैयारी में हैं। 

इसके साथ ही बड़ा सवाल है कि यदि कैप्‍टन तीसरा मोर्चा बनाएंगे तो उसमें कौन-कौन से दल या गुट शामिल हो सकते हैं। सियासी विश्‍लेषकों का कहना है कि यह देखना दिलचस्‍प होगा कि क्‍या कैप्‍टन की नई पार्टी या मोर्चा का भारतीय जनता पार्टी से जुड़ाव होगा, यदि होगा तो उसका क्‍या स्‍वरूप होगा। विश्‍लेषकों का कहना है कि कैप्‍टन की भले ही भाजपा नेता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है, लेकिन उनका भाजपा के साथ खुलकर जाना आसान नहीं है। क्‍योंकि किसान आंदोलन को कैप्‍टन अमरिंदर का समर्थन मिलता रहा है और भाजपा के नेता इसको लेकर उन पर आरोप लगाते रहे हैं। पंजाब में किसान जिस तरह से भाजपा का विरोध करते रहे हैं उससे इसमें शक है कि कैप्‍टन जैसे सियासत के मंझे खिलाड़ी उसके साथ सीधे जाने का जोखिम उठाएंगे। ऐसे में एक सूरत यह भी हो सकती है कि कैप्‍टन की अहम भूमिका से किसान संगठनों व केंद्र सरकार में कृषि कानूनों को लेकर समझौता हो और फिर कैप्‍टन व भाजपा का गठजोड़ बने।

इसके साथ ही पंजाब के सियासी गलियारों में कैप्‍टन के समर्थकों को लेकर कयासबाजी जारी है। सवाल यह उठता है कि नई पार्टी बनाने पर कितने कांग्रेस नेता उनके साथ जाएंगे। यह भी चर्चा गर्म है कि कैप्‍टन अमरिंदर‍ सिंह के साथ पंजाब के 80 कांग्रेस विधायकों में से करीब दो दर्जन विधायक हैं। ऐसे में कैप्‍टन अमरिंदर नई चरणजीत सिंह चन्‍नी सरकार के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

नई पार्टी बनाने पर अगले सप्ताह तक फैसला ले सकते हैं कैप्टन

अमरिंदर सिंह की नई पार्टी काे लेकर बताया जा रहा है कि इसकी घोषणा अगले सप्‍ताह हो सकती है। पहले त बताया जा रहा था कि वह दो अक्टूबर को इसका एलान कर सकते हैं। परंतु ऐसा नहीं हुआ और सूत्रों का कहना है कि उन्होंने नई पार्टी के गठन का फैसला अगले सप्ताह तक टाल दिया है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि अपनी नई पार्टी के लिए उन्होंने दो तीन नामों पर विचार किया है। इनमें से नई पार्टी का नाम 'पंजाब विकास पार्टी' तय किया गया है, परंतु अभी इस नाम को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।

नई पार्टी लांच करने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने करीबी नेताओं और सिद्धू विरोधियों के साथ बैठक करेंगे। जानकारों का कहना है कि कैप्टन के पास अब नई पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि इस बात की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं कि क्या वह दो दर्जन विधायकों को जुटाकर मौजूदा सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए मजबूर करें या फिर विधानसभा के चुनाव में ही अपनी ताकत दिखाएं।

सूत्रों का यह भी कहना है कि कैप्टन अमरिंदर ने भले ही भाजपा में शामिल होने से साफ इन्कार कर दिया है लेकिन इतना तय है कि वह चुनाव में अंदरखाते भाजपा की न केवल मदद ले सकते हैं बल्कि भाजपा को उसकी सीटों पर मदद दे भी सकते हैं। इससे पहले यह भी देखना होगा कि कांग्रेस में से कितने विधायकों और सांसदों को वह अपने साथ ले जा पाते हैं। निश्चित तौर पर कांग्रेस से नाराज नेता उनके साथ जा सकते हैं क्योंकि वह भी जानते हैं कि कैप्टन के करीबी होने के कारण पार्टी का मौजूदा नेतृत्व अगले विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें शायद ही टिकट दे।

राजनीति के जानकार यह भी कहते हैं कि अगले विधानसभा चुनाव में कैप्टन न केवल कांग्रेस हाईकमान को आईना दिखाने और नवजोत सिद्धू को जीतने से रोकने पर फोकस करेंगे। दिल्ली दौरे से लौटे कैप्टन ने कहा था कि कांग्रेस हाईकमान ने उनका अपमान किया है। इसके साथ ही उन्होंने दोहराया था कि वह नवजोत सिंह सिद्धू कहीं से भी चुनाव लड़ लें, वह (कैप्टन) उसे जीतने नहीं देंगे।

कैप्टन पंजाब में बना सकते हैं तीसरा फ्रंट

कैप्‍टन अमरिंदर तीसरा फ्रंट बनाने की तैयारी में हैं, जिसमें उनकी पार्टी अहम भूमिका निभाएगी। शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा आम आदमी पार्टी को भी इस मोर्चे में शामिल होने का न्योता दे चुके हैं। उनका कहना है कि पंजाब में तीसरे मोर्च की पूरी संभावना है, जो अकाली दल, कांग्रेस व भाजपा के बिना बने। पंजाब के लोग ऐसा चाहते हैं। अगर कैप्टन इसमें शामिल होते हैं तो इसे मजबूती मिलेगी। कैप्टन ने मुख्यमंत्री पद छोड़ते समय जिस तरह से गांधी परिवार पर हमला किया है, उससे साफ है कि वह उनके व्यवहार से काफी व्यथित हैं। उनका मुख्य उद्देश्य नवजोत सिंह सिद्धू को हराना है। वहीं, किसान संगठनों पर भी विधानसभा चुनाव लड़ने का दबाव है। हालांकि, संगठनों ने ऐसा कोई एलान नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा में इसकी काफी चर्चा है।


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