पंजाब सरकार निजी कंपनियों से हुए बिजली समझौतों पर पुनर्विचार करेगी, कानूनी राय मांगी
Punjab Power Agreements बिजली की महंगी दरों और बिजली संकट पर चौतरफा घिरने के बाद पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने बड़ा फैसला किया है। कैप्टन सरकार निजी कंपनियों के साथ हुए 122 बिजली समझौताें पर पुनर्विचार करेगी।
चंडीगढ़ , राज्य ब्यूरो। Punjab Power Agreements: महंगी बिजली को लेकर विपक्ष और अपनी ही पार्टी के नेताओं के हमलों से चौतरफा घिरी पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने बड़ा फैसला किया है। कैप्टन सरकार साल 2007 से लेकर 2017 तक निजी कंपनियों से बिजली खरीद के 122 समझौतों पर पुनर्विचार करेगी। सरकार ने तीन समझौतों के बारे में कानूनी राय मांगी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसकी मंजूरी दे दी है।
तीन समझौतों पर सरकार ने एडवोकेट जनरल से मांगी राय
ये सभी समझौते पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय में किए गए थे। पंजाब सरकार ने 2007 से लेकर 2017 के बीच में किए गए बिजली खरीद समझौतों को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा से जीवीके थर्मल पावर प्लांट गोइंदवाल साहब, दामोदर वैली कारपोरेशन और नेशनल थर्मल पावर प्लांट के साथ किए गए बिजली खरीद समझौतों पर कानूनी राय मांगी है।
सरकार ने पूछा है कि क्या इन कंपनियों के साथ बिजली खरीद दरों व अन्य शर्तो को लेकर फिर से बातचीत की जा सकती है या नहीं। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को 18 सूत्रीय कार्यक्रम पर अमल करने को कहा गया है। जिसमें बिजली समझौते भी शामिल हैं। सरकार जल्द ही इनके इकरारनामे पार्टी हाईकमान के पास भेजकर उनसे भी अपनी लीगल टीम से राय लेने की अपील करेगी कि क्या यह समझौते पुनर्विचार करने के काबिल हैं? क्या ऐसा करने से सरकार पर कोई वित्तीय बोझ तो नहीं पड़ेगा?
अधिकारी ने बताया कि बड़े थर्मल प्लांट से ली जाने वाली बिजली देश में सबसे सस्ती है लेकिन जब पावरकाम को इन प्लांटों से बिजली की जरूरत नहीं होती है तो उसके बदले फिक्स चार्ज देने पर यह महंगी पड़ने लगती है। सोलर और को-जनरेशन प्लांटों के साथ हुए समझौते भी काफी महंगे पड़ रहे हैं। यह औसतन छह रुपये से लेकर 14 रुपये प्रति यूनिट तक किए गए हैं।
इस भारत सरकार की हिदायत है कि इन सभी प्लांटों से बिजली खरीदनी अनिवार्य है। यदि इन सोलर, को-जनरेशन प्लांट में पैदा होने वाली 1300 मेगावाट बिजली सरकार ना ले तो तीनों बड़े थर्मल प्लांटों से मिलने वाली बिजली हमें सस्ती पड़ती है। क्योंकि फिर हमें फिक्स चार्जेज देने की जरूरत नहीं रहती है।
वाशिंग कोल आदि के मुद्दे पर भी विचार हो सकता है। काबिले गौर है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूर्व सरकार के 10 सालों में किए गए 139 बिजली खरीद समझौतों पर विचार करते हुए कहा था कि इनमें से 122 पर पुनíवचार करने की जरूरत है जबकि 17 समझौते ठीक है। सरकार जल्द ही इन को लेकर अपनी कानूनी रणनीति तैयार करेगी।
अधिकारी ने बताया कि सोलर और को-जनरेशन प्लांटों के साथ हुए समझौते काफी महंगे पड़ रहे हैं। यह औसतन छह रुपये प्रति यूनिट से लेकर 14 रुपये प्रति यूनिट तक किए गए हैं। भारत सरकार की हिदायत है कि इन सभी प्लांटों से बिजली खरीदनी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यदि इन सोलर, को-जनरेशन प्लांट में पैदा होने वाली 1300 मेगावाट बिजली सरकार ना ले तो तीनों बड़े थर्मल प्लांटों से मिलने वाली बिजली हमें सस्ती पड़ती है। क्योंकि फिर हमें फिक्स चार्जेज देने की जरूरत नहीं रहती है। उन्होंने यह भी बताया कि वाशिंग कोल आदि के मुद्दे पर भी विचार हो सकता है।
बता दें कि पंजाब में महंगी बिजली दरों को लेकर कैप्टन सरकार पर लगातार हमले हो रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान की ओर से पंजाब कांग्रेस के अंतर्कलह को मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने भी कैप्टन को 18 सूत्रीय कार्यक्रम दिया गया है। इस कार्यक्रम में भी निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौतों को रद करने या उन पर पुनर्विचार करना भी शामिल है।
कांग्रेस ने 2017 के चुनाव से पहले वादा किया था कि सत्ता में आने पर पार्टी आम लोगों को सस्ती बिजली मुहैया करवाने के इरादे से तीन बड़े थर्मल प्लांटों के साथ किए गए समझौतों पर पुनर्विचार करेगी और यदि जरूरत पड़ी तो इसे रद भी किया जाएगा। लेकिन साढ़े चार साल बीतने के बावजूद सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है।