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सुनील जाखड़ ने बुलाई पंजाब कांग्रेस कैम्पेन कमेटी की बैठक, चन्नी-सिद्धू को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती

पंजाब कांग्रेस कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन बनाए गए पूर्व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कमेटी की बैठक बुला दी है। बैठक में सिद्धू व चन्नी भी होंगे। इन दोनों को साथ लेकर चलने सुनील जाखड़ के लिए बड़ी चुनौती होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 14 Dec 2021 10:33 AM (IST)Updated: Wed, 15 Dec 2021 08:05 AM (IST)
सुनील जाखड़ ने बुलाई पंजाब कांग्रेस कैम्पेन कमेटी की बैठक, चन्नी-सिद्धू को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती
सिद्धू, जाखड़ की चन्नी की फाइल फोटो।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव को लेकर कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन बनाए गए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ पर पार्टी की गतिविधियों को लेकर बना सस्पेंस खत्म हो गया है। जाखड़ ने चुनाव कंपेन की तैयारी के लिए 15 दिसंबर को कांग्रेस भवन में कैम्पेन कमेटी की बैठक बुला ली है। बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी बुलाया गया है। कैम्पेन कमेटी का चेयरमैन बनने के बाद जाखड़ की यह पहली आधिकारिक बैठक होगी। जिसमें कांग्रेस के चुनाव कैम्पेन किस दिशा तय होगा। 

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कांग्रेस की अभी सबसे बड़ी चुनौती है कि नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अलग-अलग दिशा में चल कर प्रचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जहां घोषणाएं कर रहे हैं तो सिद्धू उन्हीं घोषणाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं। चन्नी जहां चुनाव प्रचार में अपनी ही फोटो का प्रयोग कर रहे हैं तो सिद्धू उन्हीं फोटो पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सिद्धू अपनी रैलियों में कह रहे हैं कि घोषणाओं से पहले इस बात पर फोकस किया जाए कि घोषणाओं को पूरा करने के लिए फंड कहां से आएगा। यही कारण है कि कांग्रेस के प्रचार की दिशा अलग-अलग दिखाई दे रही है।

कांग्रेस में दो पावर सेंटर बनने की वजह से कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों नेताओं को एक दिशा में लेकर आना है। ऐसे में कांग्रेस के कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने दोनों नेताओं को बैठक के लिए बुलाया है, ताकि कांग्रेस के प्रचार की दिशा को एक ही दिशा में ले जाया जा सके, क्योंकि 2017 में किए गए चुनावी वादे भी कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।

घर-घर नौकरी, ड्रग्स को खत्म करने, किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी, 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता जैसे वादे कांग्रेस के सामने 'सुरसा के मुंह' की तरह खुले हुए हैं, क्योंकि यह वह वादे हैं जो पूरे नहीं हो पाए। इसी प्रचार बेअदबी कांड को भी अभी तक कांग्रेस अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई है। कांग्रेस भले ही इन सारे वादों के पूरा न होने का नजला पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर गिरा कर अपना दामन साफ करने की कोशिश में हो, लेकिन लोग कांग्रेस से यह सवाल पूछ रहे हैं कि वह वादे तो कांग्रेस के ही थे।

इन परिस्थिति में कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ के ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी कि वह अपनी पार्टी के कैम्पेन का रूट प्लान किस प्रकार तय करते हैं, क्योंकि एक तरफ उनके सामने सिद्धू और चन्नी हैं जो अलग-अलग दिशा में चल हैं, जबकि दूसरी तरफ 2017 के वादे जो पूरे नहीं हुए को काउंटर भी करना है, ताकि लोगों में कांग्रेस की अच्छी छवि भी बन सके।


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