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भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय को दिलाएंगे अंतरराष्ट्रीय पहचान

पिजौर स्थित प्राचीन एवं ऐतिहासिक भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने वीरवार को दौरा किया। मंदिर में की जा रही विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 08:56 AM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 08:56 AM (IST)
भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय को दिलाएंगे अंतरराष्ट्रीय पहचान
भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय को दिलाएंगे अंतरराष्ट्रीय पहचान

संवाद सहयोगी, पिजौर : पिजौर स्थित प्राचीन एवं ऐतिहासिक भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने वीरवार को दौरा किया। मंदिर में की जा रही विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा की।

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इस दौरान पर उनके साथ हरियाणा पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक महावीर सिंह यादव व एसडीएम कालका राकेश संधु भी उपस्थित थे। उपायुक्त ने मंदिर परिसर व संग्रहालय में ऐतिहासिक स्मारकों का निरीक्षण किया व उनके बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि पिजौर के यादविद्रा गार्डन से स्टे इस ऐतिहासिक भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय को पर्यटन की दृष्टि से और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि देश और विदेश से अधिक से अधिक पर्यटक यहां आकर प्राचीन धरोहर के बारे में जान सकें। इस कार्य में जिला प्रशासन हरसंभव सहायता करने के लिए तैयार है। पर्यटन विभाग की सहायता से मंदिर परिसर के प्रवेशद्वार का सौंदर्यीकरण किया जाए। पर्यटन विभाग के मार्गदर्शक (गाइड) को इस स्थल के बारे में प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वह यहां आने वाले पर्यटकों को मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दे सकें। इसके अलावा मंदिर परिसर में बड़े-बड़े बोर्ड लगाए जाएं, जिन पर मंदिर के संपूर्ण इतिहास का संक्षेप में विवरण हो। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक भीमा देवी मंदिर और संग्रहालय पर आधारित रंगीन पंफ्लेट्स अन्य प्रदेशों से आने वाले पर्यटकों में वितरित किए जाएं, ताकि इस धार्मिक स्थल का अधिक से अधिक प्रचार हो सके। आहूजा ने कहा कि भीमा देवी मंदिर एक प्राचीन हिदू मंदिर है जोकि 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का माना जाता है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। 1974 में किए गए पुरातत्व उत्खनन से मंदिर का पता चला और इसे प्राचीन पंजाब और ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातत्व स्थलों और अवशेष अधिनियम 1964 के तहत संरक्षित स्मारक के रूप में घोषित किया गया। आहूजा ने कहा कि इस धार्मिक स्थल के बारे में लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने के लिए यहां स्कूल के विद्यार्थियों, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ-साथ पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों का निशुल्क दौरा करवाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पर्यटकों से लिया जा रहा प्रवेश शुल्क भी कम किया जाए। वर्तमान में आम जनता से 25 रुपये, विदेशी पर्यटकों से 75 रुपये जबकि बच्चों से 10 रुपये प्रवेश शुल्क के रूप में लिए जाते हैं।

पुरातत्व विभाग के निदेशक महावीर सिंह यादव ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी में बहने वाले पानी का संचयन करने के लिए जल संचयन परियोजना स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण की एक विस्तृत योजना तैयार की जा रही है। उपायुक्त आहूजा ने निदेशक यादव के साथ सेक्टर-12 स्थित नाहन कोठी संरक्षित स्मारक का दौरा किया और वहां चल रहे कार्य का निरीक्षण किया। इस अवसर पर पुरातत्व विभाग की उप-निदेशक डॉ. बनानी भटाचार्य भी उपस्थित थीं।


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