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BCCI ने फिर शुभमन गिल पर जताया भरोसा, सीनियर कैटेगरी की इस श्रेणी में किया शामिल

क्रिकेट से अपनी अलग पहचान बनाने वाले शुभमन गिल की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। शुभमन के पिता लखविंदर सिंह बताते हैं कि जब शुभमन पैदा भी नहीं हुए थे तभी से उन्होंने उसे क्रिकेटर बनाने के सपने देखना शुरू कर दिए थे।

By Vinay KumarEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 03:48 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 03:48 PM (IST)
बीसीसीआइ ने एक बार फिर पंजाबी मुंडे शुभमन गिल पर भरोसा जताया है।

चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। बीसीसीआइ ने एक बार फिर पंजाबी मुंडे शुभमन गिल पर भरोसा जताया है। बता दें बीसीसीआइ ने अपनी सीनियर टीम में जिन खिलाड़ियों से नए सत्र के लिए करार किया है उसमें  शुभमन गिल भी शामिल हैं। उन्हें बीसीसीआइ ने सीनियर कैटेगरी की सी श्रेणी में शामिल किया है।

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फिल्मी स्टोरी की तरह है शुभमन का क्रिकेटर बनाना  

क्रिकेट से अपनी अलग पहचान बनाने वाले शुभमन गिल की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। शुभमन के पिता लखविंदर सिंह बताते हैं कि जब शुभमन पैदा भी नहीं हुए थे, तभी से उन्होंने उसे क्रिकेटर बनाने के सपने देखना शुरू कर दिए थे। फाजिल्का जिले के चक खेरेवाला गांव में शुभमन का जन्म हुआ। शुभमन के लिए मैंने अपने सबसे बड़े खेत में एक स्थायी क्रिकेट ग्राउंड बना दिया। शुभमन बतौर बल्लेबाज ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस कर सकें, इसके लिए में युवाओं को चुनौती देता जो शुभमन को आउट करेगा, उसे मैं 100 रुपये ईनाम दूंगा। ईनाम के लिए कई लड़के ग्राउंड में पहुंच जाते थे। शुरूआत के पांच से छह महीने मेरे पैसे खर्च हुए लेकिन फिर वो मुकाम आया कि पूरा दिन गेंदबाजी करने के बाद भी शुभमन को कोई आउट नहीं कर पाता।

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बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए छोड़ दी थी पिता ने खेतीबाड़ी

लखविंदर बताते हैं कि बेटे की खातिर उन्होंने अपने गांव की खेतीबाड़ी छोड़ दी और मोहाली में शिफ्ट हो गए थे। शुभमन ने काफी समय तक स्कूल की एक क्रिकेट एकेडमी में कोचिंग ली और उसके बाद मैंने उसे पीसीए मोहाली की क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन दिलवा दी। जहां शुभमन ने काफी कुछ सीखा। शुभमन की क्रिकेट में ऐसी लग्न लगी थी कि वह रोज सुबह साढे़ तीन बजे उठते थे और चार बजे एकेडमी में पहुंच जाते थे। दिनभर प्रैक्टिस करते और शाम को खड़े होकर सीनियर प्लेयर्स के सेशन को देखते रहते थे।

शुभमन बैटिंग के दौरान हो जाता है आक्रामक

शुभमन के दोस्त ध्रुव बताते हैं कि शुभमन शांत स्वभाव का लड़का है, लेकिन जब वह बल्लेबाजी करता है तो काफी आक्रामक हो जाता है। वह क्रिकेट के प्रति इतना जुनूनी है कि दिन रात क्रिकेट के बारे में सोचता रहता है। जब वह प्रैक्टिस नहीं कर रहा होता है तो क्रिकेट की ही बातें करता है। जब वह मोबाइल देख रहा होता है तो यूट्यूब पर क्रिकेट मैच देख रहा होता है।

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हमेशा लाल रूमाल जेब में रखकर खेलते हैं शुभमन गिल

शुभमन गिल की माता कीरत गिल बताती है कि शुभमन को शुरू से ही लाल रंग काफी पसंद है। शुभमन को ऐसा लगता है कि लाल रूमाल उसके लिए बेहद लक्की है, ऐसे में जब भी वह क्रिकेट मैच खेलने के लिए मैदान में उतरता है हमेशा लाल रूमाल अपनी जेब में रखता है। शुरूआत में एक दो बार शुभमन ने सफेद रूमाल रखकर मैच खेला, लेकिन वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया। इसके बाद शुभमन का यकीन और पक्का हो गया और अब वह हमेशा अपनी जेब में लाल रूमाल डालकर मैच खेलने के लिए मैदान में उतरता है।

ऐसे में मिला था जूनियर ब्रेडमैन का नाम

साल -2018 अंडर -19 वर्ल्ड कप में शुभमन गिल ने पांच मैचों में 124 की औसत से 372 रन बनाए थे। इस शानदार प्रदर्शन के बाद ही क्रिकेट प्रेमी उन्हें जूनियर डॉन ब्रेडमैन कहने लगे थे। शुभमन गिल ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 21 मैच खेलते हुए 73.27 की स्ट्राइक रेट के साथ 2133 रन और टी 20 में 37 मैच खेलकर 777 रन बनाए हैं। वहीं टी -20 में 49 मैच खेलते हुए 33.97 की स्ट्राइक रेट के साथ 1155 रन बनाए हैं।

शुभमन  के पास है लंबा करियर

पीसीए कोच टिंकू ने बताया कि शुभमन गिल जब आठ साल के थे, तब वह उनके पास कोचिंग लेने के लिए आए थे। पांच साल तक शुभमन ने उनसे कोचिंग ली। टिंकू बताते हैं कि शुभमन ऐसे खिलाड़ी हैं जो हर बॉल को मिडिल करता था। पिच पर उस जैसा पेशेंस वाला खिलाड़ी मौजूदा समय में कोई नहीं है।  शुभमन युवा है और एक लंबा क्रिकेट करियर उसका इंतजार कर रहा है।

शुभमन गिल का प्रोफाइल

नाम - शुभमन गिल

जन्म - 8 सितंबर, 1999, फाज्लिका, पंजाब

टीम - इंडिया -19, कोलकाता नाइट राइडर्स, पंजाब अंडर -16, पंजाब अंडर-19, पंजाब सीनियर टीम

प्लेइंग रोल - राइट हैंड बैट्समैन

बॉलिंग स्टाइल - राइट आर्म ऑफ ब्रेक

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