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46 लाख रुपये में खरीदे फ्लैट में नहीं मिली बुनियादी सुविधाएं, चंडीगढ़ कंज्यूमर कमीशन ने कंपनी पर लगाया हर्जाना

चंडीगढ़ सेक्टर-36 के रहने वाले अशोक कुमार सेठ और उनकी पत्नी समिता ने मोहाली फेज-10 स्थित शिवालिक साइट प्लानर के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट स्टेट कमीशन में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत पर सुनवाई करते हुए कमीशन ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 11:47 AM (IST)
46 लाख रुपये में खरीदे फ्लैट में नहीं मिली बुनियादी सुविधाएं, चंडीगढ़ कंज्यूमर कमीशन ने कंपनी पर लगाया हर्जाना
मोहाली फेज-10 स्थित शिवालिक साइट प्लानर पर कमीशन ने जुर्माना लगाया है।

चंडीगढ़, जेएनएन। 213 स्क्वेयर यार्ड फ्लैट के लिए 29 लाख रुपये देने के बाद भी उपभोक्ता को फ्लैट में बुनियादी सुविधा नहीं मिली। इस बात को लेकर चंडीगढ़ सेक्टर-36 के रहने वाले अशोक कुमार सेठ और उनकी पत्नी समिता ने मोहाली फेज-10 स्थित शिवालिक साइट प्लानर के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट स्टेट कमीशन में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत पर सुनवाई करते हुए कमीशन ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

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वहीं, कमीशन ने शिवालिक साइट प्लानर को उपभोक्ता से ली हुई राशि 29 लाख 60 हजार रुपये नौ फीसद ब्याज के साथ 30 दिनों में लौटाने का आदेश दिया है। कमीशन ने कहा कि इतनी बड़ी राशि लेने के बाद भी कंपनी की ओर से बुनियादी सुविधा न देना कंज्यूमर एक्ट के तहत अपराध है, इसके लिए उन्हें जुर्माना लगाया गया है। वहीं पजेशन के लिए 1650 रुपये अतिरिक्त राशि जो कंपनी ने ली है, वह भी उपभोक्ता को वापस करनी होगी।

अपनी शिकायत में अशोक कुमार सेठ और उनकी पत्नी समिता ने कहा कि उन्होंने कंपनी के प्रोजेक्ट में 213 स्क्वेयर यार्ड का एक फ्लैट बुक किया था। इसके लिए उन्होंने 20 दिसंबर 2011 को कंपनी को 25 लाख 33 हजार रुपये दिए थे। पहले उन्हें कंपनी की ओर से 33 नंबर फ्लैट आवंटित किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें 27 नंबर फ्लैट दिया गया। इसके लिए कंपनी ने उपभोक्ता से कुल 46 लाख रुपये लिए। जब उपभोक्ता फ्लैट में शिफ्ट हुए तो पाया कि वहां पर कार्य पूरा नहीं हुआ था। वहीं 24 दिसंबर 2013 को कंपनी की ओर से सेल डीड देने के लिए स्टांप ड्यूटी उपभोक्ता ने तीन लाख 60 हजार रुपये मांगे। इस राशि को देने के बाद भी उन्हें कंपनी की ओर से सेल डीड नहीं दी गई।

इसके लिए शिकायतकर्ता ने कई बार कंपनी को कब्जा सौंपने का अनुरोध किया और अपने बुजुर्ग माता-पिता की स्थिति को भी उनके ध्यान में लाया, जो दिल्ली में रह रहे थे जो बीमारियों से पीड़ित थे और उनकी देखभाल के लिए तत्काल स्थानांतरित करने की आवश्यकता थी। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि अभी तक परियोजना स्थल पर कोई विकास कार्य नहीं किया गया है, कोई सड़क नहीं बनाई गई, न ही बिजली कनेक्शन और अन्य सुविधाएं भी प्रदान नहीं की गई हैं।जिसके बाद कंपनी की बेरुखी को देखते हुए उन्हाेंने डिस्ट्रिक्ट स्टेट कमीशन में शिकायत दर्ज की।


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