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बापूधाम के टीचर मनजीत कुमार अभिनय के जरिए पढ़ाते हैं चैप्टर, बोले- मौज-मस्ती में ज्यादा सीखते हैं बच्चे

मनजीत सोशल स्टडी के विशेषज्ञ हैं। उनका मानना है कि बच्चों को किताबों से अधिक मौज मस्ती पसंद होती है। ऐसे माहौल में वे पढ़ाई बातों को देर तक याद रख पाते हैं। वह जब भी स्टूडेंट्स को कोई चैप्टर पढ़ाते हैं तो उसका अभिनय भी साथ करके दिखाते हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 02:07 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 02:07 PM (IST)
बापूधाम के टीचर मनजीत कुमार अभिनय के जरिए पढ़ाते हैं चैप्टर, बोले- मौज-मस्ती में ज्यादा सीखते हैं बच्चे
छात्रों को पढ़ाते टीचर मनजीत कुमार। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। स्टूडेंट्स को किताबें पढ़कर ही शिक्षा नहीं मिलती। बेहतर शिक्षा देने के लिए उन्हें किताबों के अलावा अन्य ज्ञान देना भी जरूरी है। इसी सोच के साथ स्टूडेंट्स को पढ़ाने में जुटे हैं शहर के गवर्नमेंट मॉडल मिडिल स्कूल सेक्टर-26 बापूधाम के इंचार्ज मंजीत कुमार।

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मनजीत कुमार मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले है। 17 साल पहले जब चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में अध्यापक के तौर पर नियुक्त हुए तो उन्होंने महसूस किया कि बच्चे किताबों को पढ़ने से ज्यादा मौज-मस्ती करना पसंद करते हैं। उसी सोच के साथ उन्होंने पढ़ाने के तरीके में बदलाव कर दिया। सोशल स्टडी के विशेषज्ञ मनजीत जब भी स्टूडेंट्स को कोई चैप्टर पढ़ाते हैं तो उसका अभिनय भी साथ करके दिखाते हैं और बच्चों से कराते हैं। जिसे करने से जहां स्टूडेंट्स खुश होते हैं। वहीं पर वह अन्य बच्चों से ज्यादा पकड़ उस विषय पर रखते हैं। 

इतिहास से जुड़े हर चैप्टर का करते है अभिनय

मनजीत ने बताया कि बच्चों को इतिहास की जानकारी होना जरूरी है। भारत का इतिहास बहुत बड़ा है। जब उन्हें वह एक-एक करके पढ़ाया जाता हैं तो वह उसे वैसे याद नहीं रख पाते जैसे हम किताबों को पढ़ाकर उनसे उम्मीद करते हैं। ऐसे में मैंने अभिनय का सहारा लिया। जैसे जब झांसी की रानी का चैप्टर पढ़ाना है तो अभिनय से स्टूडेेंट्स को उस स्थिति में खड़ा करना होता है जो उस समय थी। झांसी की रानी का पति कैसे मारा, उसके बाद उन्होंने बच्चा कैसे गोद में लेकर अंग्रेजों से लड़ाई की। चैप्टर को पढ़ाते हुए जब मैं बच्चों को उस समय के किरदारों से जोड़ता हूं तो निश्चित तौर पर वह उसे याद रखते हैं।

इसके अलावा महात्मा गांधी, देश की आजादी, उसके बाद की स्थिति को समझाने के लिए भी मैं अभिनय करते हुए क्लास लेता हूं और स्टूडेंट्स के ज्ञान और प्रफोरमेंस को देखकर मुझे खुशी भी होती है। इस प्रकार की एक्टीविटी से जहां स्टूडेंट्स इतिहास से जुड़ते हैं, उसके साथ ही उन्हें अभिनय की भी समझ आती है जिसका इस्तेमाल वह नुक्कड़ नाटक करने से लेकर अलग-अलग प्रकार की एक्टीविटी में करते हैं। इससे बच्चे समाजिक बुराईयों से भी दूर रहते हैं।

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