Move to Jagran APP

पंथक राजनीति में बुरी तरह घिरे अकाली दल के लिए सज्जन बने 'संजीवनी'

पंथक राजनीति में हाशिये पर चल रहे अकाली दल को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सजा के रूप में संजीवनी मिल गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 03:19 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 03:19 PM (IST)
पंथक राजनीति में बुरी तरह घिरे अकाली दल के लिए सज्जन बने 'संजीवनी'
पंथक राजनीति में बुरी तरह घिरे अकाली दल के लिए सज्जन बने 'संजीवनी'

जेएनएन, चंडीगढ़। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और बहिबलकलां (फरीदकोट) में हुए गोलीकांड के कारण पंथक राजनीति में हाशिये पर चल रहे अकाली दल को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सजा के रूप में 'संजीवनी' मिल गई है। 1984 दंगों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला उस समय आया है जब अकाली दल से निष्कासित सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा व पूर्व विधायकों ने नया अकाली दल बना लिया है। अकाली दल के टूटने की भले ही यह पहली घटना न हो, लेकिन यह ऐसे समय में हुई जब राजनीतिक रूप से अकाली दल काफी कमजोर दिखाई दे रहा है। इस समय वह पंथक राजनीति में बुरी तरह घिरा हुआ है।

loksabha election banner

1984 से लेकर सन् 2000 तक अकाली दल में कई बार टूट हुई। सिमरनजीत सिंह मान से लेकर पंथ के कद्दावर नेता गुरचरण सिंह टोहरा तक ने अकाली दल से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई। यह अकाली दल के लिए राजनीतिक संकट का दौर था। अकाली दल पंथक राजनीति में कभी भी इतना कमजोर नहीं पड़ा था, जितना इस समय है। टोहरा भी अकाली दल को वह चोट नहीं पहुंचा पाए जितना बड़ा उनका कद था।

रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा द्वारा अकाली दल (टकसाली) बनाने की घोषणा के ठीक एक दिन बाद दिल्ली कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। अकाली दल के लिए 1984 का मुद्दा हमेशा ही प्रभावशाली रहा है। ऐसे समय में सज्जन कुमार को सजा दिए जाने का फैसला आना अकाली दल के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। एक तरफ अकाली दल सिखों में इस मुद्दे को भुना सकता है तो दूसरी तरफ सज्जन कुमार को लेकर कांग्रेस के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकते हैं।

34 सालों से 84 के दंगों में प्रभावित हुए लोग इंसाफ पाने के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। पंजाब में अकाली दल के लिए हमेशा ही यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा। हर चुनाव से पूर्व कांग्रेस को घेरने के लिए अकाली दल हमेशा ही इस मुद्दे को आगे बढ़ाता रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 84 दंगों को लेकर कांग्रेस नेताओं को सजा होने से अकाली दल को राजनीतिक रूप से खासा लाभ मिल सकता है। इसके विपरीत कांग्रेस सियासी तौर पर घिर सकती है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.