आयुष्मान भारत लागू करने वाला पहला कांग्रेस शासित राज्य बनेगा पंजाब, 43 लाख से अधिक होंगे लाभान्वित
पंजाब में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। पंजाब सरकार पहली जुलाई से इसे लागू करेगी।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पंजाब में 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना' (आयुष्मान भारत) को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। पंजाब सरकार पहली जुलाई से इसे लागू करेगी। पंजाब इस योजना को लागू करने वाला पहला कांग्रेस शासित राज्य होगा। अब महज अस्पतालों का पैनल बनाने की प्रक्रिया बाकी रह गई है। अभी तक 341 अस्पतालों ने आयुष्मान योजना के पैनल में शामिल होने के लिए आवेदन किया है। इस योजना के लागू होने के साथ ही पंजाब देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां 82 फीसद आबादी को पांच लाख तक का बीमा कवर मिलेगा।
लंबी चली खींचतान
दिल्ली, उड़ीसा की तरह ही पंजाब में भी आयुष्मान योजना को लेकर खासी खींचातान हुई। पंजाब सरकार की 'भगत पूरन सिंह स्वास्थ्य बीमा योजना' इसका मुख्य कारण थी। इसके अधीन 28.20 लाख परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। पंजाब सरकार केंद्र पर दबाव बना रही थी कि आयुष्मान योजना के तहत इन परिवारों को भी कवर किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार 14.96 लाख परिवारों को ही आयुष्मान योजना के तहत लाना चाहती थी।
ये वह परिवार थे, जो 2011 सामाजिक, आर्थिक व जातिगत गणना के अनुसार इस योजना के लिए योग्य माने गए थे। लंबी खींचतान के बाद राज्य सरकार ने भगत पूरन सिंह स्वास्थ्य बीमा योजना को आयुष्मान भारत के तहत लाने का फैसला लिया। अब सभी परिवारों को पांच लाख तक का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। भगत पूरन सिंह योजना के तहत महज 50 हजार रुपये का लाभ मिलता था।
जनवरी से नहीं लागू हो पाई योजना
पंजाब सरकार पहली जनवरी से योजना को लागू करना चाहती थी, लेकिन बीमा कंपनियों व अस्पतालोंं का पैनल बनाने व अन्य कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। बाद में आचार संहिता लागू हो गई।
हर वर्ष 65 करोड़ का खर्च उठाएगी पंजाब सरकार
इस स्कीम के अधीन होने वाले खर्च में केंद्र व राज्य सरकार का 60:40 के अनुपात में योगदान होगा। राज्य सरकार लगभग 65 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार के 97 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
योजना को कैबिनेट की मंजूरी
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश चंद्रा का कहना हैै कि हम योजना लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। केंद्र सरकार से 17 अक्टूबर, 2018 को समझौता हो चुका है।
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