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चंडीगढ़ भाजपा में सूद का सफल अध्यक्ष के तौर पर साल पूरा, लेकिन अफसरशाही पर नहीं लगी लगाम

चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का कार्यकाल का एक साल पूरा हो गया है। उनका एक साल का यह कार्यकाल एक सफल अध्यक्ष के तौर पर गुजरा है। लेकिन उन्होंने अफसरशाही पर लगाम लगाने की बात कही थी वह अभी भी अधूरी है।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 12:53 PM (IST)
चंडीगढ़ भाजपा में सूद का सफल अध्यक्ष के तौर पर साल पूरा, लेकिन अफसरशाही पर नहीं लगी लगाम
चंडीगढ़ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अरुण सूद।

चंडीगढ़ [राजेश ढल्ल]। अरुण सूद को चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष के तौर पर एक साल हो गया है। इस एक साल में उनका अध्यक्ष पद का कार्यकाल अधिकतर कोरोना काल में ही बीता है। कोरोना काल में सांसद किरण खेर पूरी तरह से गायब रहीं। लेकिन अध्यक्ष अरुण सूद ने सांसद किरण खेर की कमी को पूरा नहीं होने दिया।

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सांसद किरण खेर के घर से बाहर न आने पर अध्यक्ष अरुण सूद ने बचाव किया, हालांकि इससे पहले के भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन के साथ सांसद किरण खेर का टकराव रहता था। सूद की सांसद के साथ अच्छी ट्यूनिंग है। इसलिए ही करीब एक साल से शहर में किसी कार्यक्रम में शामिल न होने के कारण पार्टी के भीतर सांसद की कोई विरोध नहीं है।

सांसद किरण खेर अपने स्वास्थ्य कारणों की वजह से शहर में नहीं निकली, यहां तक कि उन्होंने इस माह होने वाले मेयर चुनाव से भी दूरी बनाई रखी। जबकि अध्यक्ष बनते ही पिछले साल उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी मिलेगी हालांकि जिन जिन सीटों पर चंडीगढ़ भाजपा के नेताओं और सूद ने प्रचार किया वह हार गई। विधानसभा चुनाव प्रचार के बाद ही कोरोना काल शुरू हो गया। अध्यक्ष बनने पर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा सम्मान कार्यक्रम भी नहीं हो पाए। कोरोना काल में किए हुए कार्यों की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चंडीगढ़ भाजपा की जमकर तारीफ भी की।

अफसरशाही पर नहीं लगी लगाम

अध्यक्ष बनने के बाद अरुण सूद ने दावा किया था कि वह प्रशासन में हावी हो रही अफसरशाही पर लगाम लगाएंगे लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। हालांकि उन्होंने इस संबंध में अपनी आवाज बुलंद करते हुए पार्टी हाईकमान तक मामला पहुंचाया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। अरुण सूद का नगर निगम में सदन की बैठक में कमिश्नर केके यादव के साथ टकराव हुआ। उनके इस एक साल के कार्यकाल में थप्पड़ कांड हुआ जिससे शहर में पार्टी की किरकिरी हुई। इस थप्पड़ कांड में शामिल पार्टी सचिव गौरव गोयल का उन्होंने बचाव किया।

मेयर चुनाव हुए लेकिन पार्षदों को नहीं कर पाए एकजुट

भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के कार्यकाल में ही पार्टी के नए प्रभारी दुष्यंत गौतम बने। उनके कार्यकाल में मेयर चुनाव हुए लेकिन वह पार्टी पार्षदों को मतदान के लिए एकजुट नहीं कर पाए। मेयर चुनाव में दो पार्षदों ने अपनी वोट खराब कर दी हालांकि अब सूद ने जांच कमेटी बिठा दी है और सख्त कार्रवाई करने का दावा कर रहे हैं। मेयर पद का उम्मीदवार घोषित होते ही पार्षद भरत कुमार और चंद्रावती शुक्ला ने नाराजगी भी जाहिर की थी। यहां तक कि मेयर चुनाव से पहले वह खुद भी उम्मीदवार बन गए थे जिससे टंडन गुट उनसे नाराज भी हो गया था लेकिन जब उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो भी उन्होंने खुशी यह फैसला स्वीकार किया।

यह साल काफी चुनौतिपूर्ण

भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के लिए यह साल काफी चुनौतिपूर्ण है क्योेंकि इस साल के अंत में नगर निगम के चुनाव होने हैं ऐसे में पार्टी को फिर से नगर निगम में जीत दिलवाने की जिम्मेदारी सूद पर है। अगर सूद इसमे कामयाब न हुए तो उनकी कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी। पार्टी नेताओ की गुटबाजी खत्म करने की जिम्मेदारी भी सूद के कंधों पर है।

भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का कहना है कि कोरोना काल में उनकी पार्टी के हर कार्यकर्ता और नेता ने खूब काम किया है। उनके बिना वह कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इस समय नगर निगम में पार्टी के 20 पार्षद हैं इस साल होने वाले नगर निगम चुनाव में इससे ज्यादा पार्षद जीताकर लाना उनका टारगेट है। इसके साथ ही पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े वह करेंगे। अफसरों की जवाबदेही भी तय की जाएगी।


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