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अब स्मॉग से बचाएगी आर्टिफिशियल रेन, वैज्ञानिकों ने तैयार किया ये खास डिवाइस Chandigarh news

वैज्ञानिकों का दावा है कि इस डिवाइस की मदद से कम पानी का प्रयोग कर बेहद कम समय में स्मॉग पर काबू पाया जा सकेगा।

By Edited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 03:27 PM (IST)
अब स्मॉग से बचाएगी आर्टिफिशियल रेन, वैज्ञानिकों ने तैयार किया ये खास डिवाइस Chandigarh news
अब स्मॉग से बचाएगी आर्टिफिशियल रेन, वैज्ञानिकों ने तैयार किया ये खास डिवाइस Chandigarh news

चंडीगढ़ [वीणा तिवारी]। शहरों में बढ़ रही स्मॉग की समस्या का निदान अब इलेक्ट्रोस्टेटिकली चा‌र्ज्ड आर्टिफिशियल रेन से होगा। इससे स्मॉग फ्री इंडिया का सपना साकार करने में मदद मिलेगी। पानी की बूंदों को इलेक्ट्रोस्टेटिकली चार्ज करके स्मॉग पर डाला जाएगा। इससे स्मॉग में मिले धूल के कण और अन्य रसायन हल्के होकर गिर जाएंगे। यह संभव हो पाया है चंडीगढ़ स्थित सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गनाइजेशन (सीएसआइओ) के वैज्ञानिकों के प्रयासों से। उन्होंने इलेक्ट्रोस्टेटिक डस्ट मीटीगेशन डिवाइस तैयार किया है।

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वैज्ञानिकों का दावा है कि इस डिवाइस की मदद से कम पानी का प्रयोग कर बेहद कम समय में स्मॉग पर काबू पाया जा सकेगा। डिवाइस बनाने वाले सीएसआइओ के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. मनोज कुमार पटेल ने बताया कि अब तक इस समस्या के समाधान के लिए कन्वेंशनल मशीनों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें पानी की बड़ी बूंदों का प्रयोग किया जाता है। इसमें पानी की खपत भी ज्यादा होती थी और परिणाम भी संतोषजनक नहीं मिलता। क्योंकि पानी की बड़ी बूंदें स्मॉग पर बेअसर साबित होती हैं। इलेक्ट्रोस्टेटिक डस्ट मीटीगेशन डिवाइस की मदद से जो भी पानी प्रयोग किया जाएगा वह इलेक्ट्रो चार्ज होगा और नैनो तकनीक की तर्ज पर सीधे टारगेट पर वार करेगा। इलेक्ट्रो चार्ज पानी के संपर्क में आने पर स्मॉग में मिले धूल और अन्य रसायनिक कण हल्के हो जाएंगे और हवा में ठहरने की बजाय नीचे गिर जाएंगे।

स्मॉग क्या है

स्मॉग वायु प्रदूषण की एक स्थिति है। गाडिय़ों और औद्योगिक कारखानों से निकलने वाले जहरीले धुएं में उपस्थित राख, गंधक और अन्य हानिकारक रसायन जब कोहरे के संपर्क में आते हैं तो स्मॉग बनता है। यह सांस और अन्य क्रॉनिक बीमारियों का कारण बनता है। सबके लिए खतरनाक बच्चों के विकसित हो रहे फेफड़ों को कमजोर करता है। हार्ट डिजिज और शुगर के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। वृद्ध लोगों में इसकी वजह से हार्ट और लंग डिजिज होने का खतरा तेजी से बढ़ता है। एलर्जी से प्रभावित लोग, गर्भवती महिलाओं और धूम्रपान करने वालों को भी सावधान रहने की जरूरत है। स्मोग पौधों, और जानवरों तक के लिए हानिकारक है।

स्मॉग से होने वाली बीमारिया

स्मॉग के दौरान छाती में जलन, खासी, निमोनिया, सांस लेने में दिक्कत, आखों में जलन, ज्यादा थका हुआ महसूस करना, सिर में दर्द, कम ऊर्जा, घबराहट हो सकती है।

मौजूदा समय में स्मॉग से बचाव के लिए देश में ऐसा कारगर उपाय संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में स्मॉग फ्री इंडिया को सफल बनाने में यह डिवाइस एक वरदान साबित होगा।

- डॉ. मनोज कुमार पटेल, सीनियर साइंटिस्ट सीएसआइओ

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