फिर उठा श्री करतारपुर मार्ग का मुद्दा, कैप्टन ने सुषमा को पत्र लिख उठाई मांग
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिर एक बार श्री करतारपुर साहिब मार्ग खुलवाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है।
जेएनएन, जालंधर। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिर एक बार श्री करतारपुर साहिब मार्ग खुलवाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा कि श्री करतारपुर साहिब सिखों की आस्था से जुड़ा है, इसलिए इस मार्ग को खोलने के लिए पाकिस्तान से बात की जाए। बता दें, श्री करतारपुर साहिब मार्ग को लेकर कुछ माह पूर्व राज्य में खूब सियासत गरमाई थी।
दरअसल, नवजोत सिद्धू इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। इस दौरान पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर वे आरोपों से घिर गए थे। बाद में सिद्धू ने यह कहते हुए अपना बचाव किया था कि बाजवा ने जब करतारपुर साहिब मार्ग खोलने की बात कही तो उन्होंने उन्हें गले लगा दिया था। बाद में, इस मामले खूब राजनीति हुई थी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि करतारपुर साहिब पर पाकिस्तान की ओर से द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत न तो कोई प्रतिनिधि भेजा गया है और न ही इस मुद्दे पर कोई सकारात्मक पहल की गई है। अब एक बार फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुषमा स्वराज को पत्र लिखकर यह मांग उठाई है।
पाकिस्तानी सेना ने ध्वस्त कर दिया था करतारपुर को जोड़ने वाला पुल
खोलने की बात करने वाले पाकिस्तान की सेना ने ही कभी वहां जाने के लिए बने पुल को तबाह कर दिया था। पाकिस्तान के नारोवाल स्थित श्री करतारपुर साहिब और भारत के गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक को जोड़ने के लिए विभाजन से पहले रावी पर बना यह पुल अहम जरिया था। करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालु इसी पुल से रावी पार किया करते थे।
इसी पुल से रावी पार कर करतारपुर साहिब के दर्शन करने जाते थे सिख श्रद्धालु
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना ने सामरिक महत्व वाले इस पुल को ध्वस्त कर दिया। 5 दिसंबर 1971 को सेना को डीबीएन (डेरा बाबा नानक) ब्रिज पर कब्जा करने का आदेश मिला, ताकि इसे दुश्मन के पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इस मिशन को 'ऑपरेशन अकाल' नाम दिया गया। 10-डोगरा, 17 राजपूत व 1/9 गोरखा राइफल्स, 71 आम्र्ड रेजिमेंट, गोरखा राइफल्स की 4/8 कंपनी और 42 फील्ड रेजिमेंट ने ऑपरेशन को अंजाम दिया और अगले दिन पुल पर कब्जा कर दिया। बाद में पाकिस्तान ने इसे नष्ट कर दिया।
करतारपुर साहिब: कब क्या हुआ
- 1522 : श्री गुरु नानक देव जी ने गुरुद्वारे की स्थापना की और एक किसान की तरह जिंदगी बिताने का निर्णय किया।
- 1539: श्री गुरु नानक देव जी ने देह का त्याग कर गुरु अंगद देव को उत्तराधिकारी बनाया।
- 1947: विभाजन के दौरान गुरदासपुर जिला भी दो हिस्सों में बंट गया और गरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान चला गया।
- 1971: पाकिस्तान के नारोवाल और भारत के गुरदासपुर को जोडऩे वाला रावी नदी पर बना पुल भारत-पाक युद्ध में तबाह हो गया।
- 1995: पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारे की मरम्मत करवाई।
- 2000: पाकिस्तान ने करतारपुर के वीजा फ्री यात्रा की घोषणा की।
- 2001: पाकिस्तान ने विभाजन के बाद पहली बार भारतीय जत्थे को करतारपुर साहिब जाने की अनुमति दी।
- 2002: अप्रैल में जत्थेदार कुलदीप सिंह वडाला और करतारपुर रावी दर्शन अभिलाषी संस्था ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिख कर पाकिस्तान के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की मांग की।
- 2004: पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारे का पूरी तरह कायाकल्प किया।
- 2008: तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने डेरा बाबा नानक का दौरा किया और फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने की बात कही।
- 2008: एसजीपीसी ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा को पत्र लिख कॉरिडोर के निर्माण की मांग की।
- 2018: 17 अगस्त को सिद्धू पाकिस्तान के नए पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए और पाक सेना प्रमुख को जफ्फी डाली। विवाद पर सिद्धू ने बताया कि पाक सेना प्रमुख ने उन्हें करतारपुर मार्ग खोलने का भरोसा दिया है।
- 2018: 22 अगस्त को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिख यह मामला पाकिस्तान से उठाने को कहा।
- 2018: 7 सितंबर को पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कॉरिडोर खोलने का एेलान किया। बाद में पाकिस्तान ने इसको नकारा।
- 2018: 9 नवंबर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर सुषमा स्वराज को पत्र लिखकर यह मामला पाकिस्तान से उठाने की मांग की।