कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष छाबड़ा का आरोप, सफाई का ठेका कंपनी को देने से स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ा चंडीगढ़
चंडीगढ़ स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ता जा रहा है। इसकी क्या वजह है इस पर चंडीगढ़ कांग्रेस के पूर्व अध्यज्ञ प्रदीप छाबड़ा ने कई आरोप लगाए हैं। ऐसे में शहर के दक्षिणी सेक्टर में सफाई का ठेका लायंस कंपनी को देने का मामला गरमाता जा रहा है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ता जा रहा है। इसकी क्या वजह है इस पर चंडीगढ़ कांग्रेस के पूर्व अध्यज्ञ प्रदीप छाबड़ा ने कई आरोप लगाए हैं। ऐसे में शहर के दक्षिणी सेक्टर में सफाई का ठेका लायंस कंपनी को देने का मामला गरमाता जा रहा है। 31 मई को होने वाली नगर निगम की सदन की बैठक में सफाई का ठेका अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव आ रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने आरोप लगाया है कि जब से उक्त कंपनी को ठेका दिया उसी वर्ष से लगातार सफाई व्यवस्था में रैंकिंग में चंडीगढ़ पिछड़ता गया। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि लायंस कंपनी को इतने लंबे समय का टेंडर क्यों दिया गया है।
प्रदीप छाबड़ा का आरोप है कि चंडीगढ़ भाजपा इसके लिए जिम्मेदार है। साल 2016 से आज तक के भाजपा मेयर चंडीगढ़ के लोगों के प्रति इस बात के जवाबदेह हैं। कंपनी को ठेका देने से लगभग 400 से ज्यादा लोगों का रोजगार चला गया। इस कंपनी को ठेका देने से पहले आधे खर्च पर एरिया साफ होता था। 1100 के लगभग सफाई कर्मचारी काम करते थे। कंपनी के आने के बाद लगभग 400 लोगों का रोजगार गया। इस बात की जांच होनी चाहिए कि जिस दिन कंपनी को ठेका दिया, उस दिन कंपनी के पास क्या इंफ्रास्ट्रक्चर था। कितनी सफाई मशीनें व गाड़िया, अन्य मशीनरी थी। जहां हर महीने ढाई करोड़ में काम होता था वहीं साढ़े चार करोड़ महीने के क्यों दिए जा रहे हैं। छाबड़ा ने चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर से आग्रह किया कि शहर की सफाई के लिए नया टेंडर होना चाहिये और लायंस कंपनी के खिलाफ सीबीआइ जांच करवाई जाए।
सदन की बैठक में सवाल उठाने वाले अब अनुबंध बढ़ाने की कर रहे हैं सिफारिश
शहर के दक्षिणी सेक्टरों की सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम ने लायंस कंपनी को दी हुई है। इसको हर साल 50 से 54 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जाता है। शुरू से ही पार्षद कंपनी की कारगुजारी पर सवाल उठाते रहे हैं। कई बार सदन की बैठक में इस पर कांग्रेस और भाजपा के पार्षद आपस में उलझ चुके हैं। यहां तक कि कई बार जांच की मांग उठ चुकी है। नगर निगम की ओर से भी कंपनी पर कई बार जुर्माना के नोटिस भेजे गए हैं। बावजूद अब पार्षद लांयस कंपनी पर मेहरबानी दिखा रहे हैं। नए सिरे से टेंडर निकालने की बजाय कंपनी के काम पर संतुष्टता जाहिर करते हुए कंपनी का अनुबंध बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। अधिकारी भी इस खेल को समझ नहीं पा रहे हैं कि सदन में सवाल उठाने वाले अब सिफारिश क्यों कर रहे हैं। 31 मई को होने वाली सदन की बैठक में इसका प्रस्ताव चर्चा के लिए आ रहा है, जबकि साल 2017 में सांसद किरण खेर भी कंपनी द्वारा की जा रही सफाई व्यवस्था पर सवाल उठा चुकी हैं।