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अमरिंदर व सिद्धू के बीच सुलह के सभी रास्‍ते बंद, नवजोत की जगह राणा गुरजीत बनेंगे मंत्री

पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह व नवजाेत सिंह सिद्धू के बीच सुलह के सारे रास्‍ते बंद हो गए है। अब राणा गुरजीत सिंह को जल्‍द ही सिद्धू की जगह मंत्री बनाया जाएगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 11:24 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 08:58 PM (IST)
अमरिंदर व सिद्धू के बीच सुलह के सभी रास्‍ते बंद, नवजोत की जगह राणा गुरजीत बनेंगे मंत्री
अमरिंदर व सिद्धू के बीच सुलह के सभी रास्‍ते बंद, नवजोत की जगह राणा गुरजीत बनेंगे मंत्री

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच सुलह-सफाई के सारे रास्ते बंद होते नजर आ रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में खाली हुए पद को भरने की तैयारी कर ली है। कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह एक बार फिर कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी सूत्रों के अनुसार इस रिक्त पद को भरने की एक वजह विभिन्न विधायकों की ओर से बगावती सुर अपनाना भी है।

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राणा केपी सिंह और कुलजीत नागरा भी मंत्री बनने की दौड़ में शामिल

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की सरकार के मात्र दो साल बचे हैं। ऐसे में तमाम विधायकों की नजर इस खाली पद पर है। मंत्री बनने की दौड़ में विधासभा के स्पीकर राणा केपी सिंह भी शामिल हैं। वह लंबे समय से इस‍के लिए प्रयास कर रहे हैं। युवा नेता कुलजीत नागरा के भी दौड़ में शामिल होने की चर्चा है। वह राहुल गांधी के करीबी नेताओं में माने जाते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने जुलाई में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट में हुए फेरबदल से वह नाराज थे।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा चुनाव में शहरी सीटों पर हार का ठीकरा नवजोत सिद्धू पर फोड़ते हुए उन्हें स्थानीय विभाग से हटाकर बिजली विभाग में भेज दिया था। सिद्धू ने बिजली विभाग का कार्यभार संभालने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने हाईकमान से भी इसकी गुहार लगाई कि उनका महकमा न बदला जाए, लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के कारण कांग्रेस हाईकमान भी इतनी कमजोर हो चुकी थी कि किसी ने भी स्टार प्रचारक नवजोत सिद्धू की नहीं सुनी।

पंजाब विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीतने के बाद लोकसभा में भी पार्टी को आठ सीटें मिलने से कैप्टन अमरिंदर सिंह मजबूत नेता के रूप में उभरे। इससे चलते सिद्धू बिल्कुल हाशिए पर चले गए। यहां तक कि बाद में चार सीटों पर हुए उपचुनाव और प्रकाशोत्सव को लेकर करवाए गए समारोह में भी नवजोत सिद्धू को पंजाब सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दी।

सिद्धू के इस्तीफे के कारण खाली हुए पद को लेकर राजनीतिक हलकों में यह चर्चा चल रही थी किसी समय सिद्धू के साथ कैप्टन की फिर से सुलह हो सकती है। इसलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस पद को भरने के लिए अभी तैयार नहीं हैैं, लेकिन अब एक बार फिर कैबिनेट विस्तार की चर्चा चल पड़ी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच सुलह के सभी दरवाजे बंद हो गए हैं।

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राणा को रेत खनन घोटाले के आरोप में देना पड़ा था इस्तीफा

राणा गुरजीत सिंह मार्च 2017 में बनी कैबिनेट का हिस्सा थे। उन्होंने  पिछले साल जनवरी में पांच करोड़ के रेत घोटाले में फंसने के चलते इस्तीफा दे दिया था। राणा गुरजीत के खिलाफ चली जांच में उन्हें क्लीन चिट मिलने से वह फिर से मंत्री बनने की दौड़ में शामिल हो गए थे, लेकिन कोई भी सीट खाली नहीं थी। सिद्धू के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो गई है।

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