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बर्फबारी व भूस्खलन के कारण कालका-शिमला रेलरूट पर सभी छह ट्रेनों की आवाजाही बंद

कालका-शिमला रेल मार्ग पर फिलहाल ट्रेनों का आवागमन बंद है। यह रेलवे मार्ग 118 साल पुराना है। 9 नवंबर 1903 को कालका- शिमला रेल मार्ग की शुरूआत हुई थी। यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 03:11 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 03:11 PM (IST)
बर्फबारी व भूस्खलन के कारण कालका-शिमला रेलरूट पर सभी छह ट्रेनों की आवाजाही बंद
कालका शिमला रूट पर काफी जगहों पर भुस्खलन की खबर है। पुरानी फोटो

विकास शर्मा, चंडीगढ़। पहाड़ों की रानी शिमला में भारी बर्फबारी और कालका-शिमला रेल ट्रैक पर भूस्खलन की वजह से सोमवार को इस रूट पर ट्रेन यातायात पूरी से बाधित रहा। यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर अंबाला मंडल ने ट्रैक साफ करने के लिए इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही बंद कर दी है। अंबाला मंडल के जनसंपर्क अधिकारी सुमीर शर्मा ने बताया कि इस रूट पर काफी जगहों पर भुस्खलन की खबर है, इसके मौसम विभाग ने भी अभी दो दिन और बारिश का पूर्वानुमान जताया है। ऐसे में सफर के दौरान यात्रियों को परेशानी न हो, इसके लिए इस ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है।

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इस रूट पर पर हैं छह ट्रेनों की आवाजाही

ट्रेन का नाम - कालका से शिमला शिमला पहुंचने का समय

कालका -शिमला पैसेंजर – सुबह 3.30 बजे - सुबह 8.55 बजे

कालका -शिमला रेल मोटर -सुबह 9.52 बजे - सुबह 9.52 बजे

शिवालिक डीलक्स एक्सप्रेस – सुबह9.45 बजे - सुबह 10.25 बजे

कालका - शिमला एनजी एक्सप्रेस – सुबह 6.20 बजे - सुबह 11.35 बजे

हिमदर्शन एक्सप्रेस – सुबह 7 बजे - दोपहर 12.55 बजे

हिमालयन क्वीन - दोपहर12.10 बजे - शाम 5.20 बजे

118 साल पुराना है कालका शिमला रेलवे मार्ग

कालका-शिमला रेलवे मार्ग 118 साल पुराना है। 9 नवंबर 1903 को कालका- शिमला रेल मार्ग की शुरूआत हुई थी। यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है। 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था। रेलमार्ग कालका स्टेशन (656 मीटर) से शिमला (2,076 मीटर) तक जाता है। 96 किमी. लंबे इस रेलमार्ग पर 18 स्टेशन है। साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस मार्ग से यात्रा की थी।

103 सुरंगें से ट्रेन को गुजरते देख रोमांचित हो उठते हैं यात्री

कालका-शिमला रेलवे लाइन पर 103 सुरंगें है, जो इस सफर को काफी रोमांचक बना देती हैं। बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है जिसकी लंबाई 1143.61 मीटर है। सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन अढ़ाई मिनट का समय लेती है। रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल है जिस पर सफर और भी रोमांचक हो जाता है। कालका-शिमला रेलमार्ग को नैरोगेज लाइन कहते हैं। इसमें पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है।

साल 2008 में यूनेस्को ने दिया था वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा

कालका-शिमला रेलवे लाइन को यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था। इसी रूट पर कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बना था। शिमला जाते हुए यह पुल 64.76 किमी. पर मौजूद है। आर्च शैली में निर्मित चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं।


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