पंजाब में पानी पर All party meeting, केंद्र से Inter-State River Water Disputes Act में संशोधन की मांग
पंजाब में जल संकट पर बुलाई गई आल पार्टी मीटिंग में सभी पार्टियों ने नए ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए प्रस्तावित अंतरराज्यीय नदी जल विवाद एक्ट में जरूरी संशोधन करने की मांग की।
जेएनएन, चंडीगढ़। गहराते जल संकट को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा बुलाई गई आल पार्टी मीटिंग भी केवल नदी जल विवाद पर सीमित होकर रह गई। गिरते भूजल स्तर, प्रदूषित होते नदियों के पानी आदि पर कोई फोकस दिखाई नहीं दिया। भूजल बचाने के लिए वैकल्पिक फसलों की कोई कार्ययोजना भी आल पार्टी मीटिंग से नहीं निकल सकी। नदियों के पानी की उपलब्धता का पुन: मूूल्यांकन करने की मांग उठी। कहा गया कि केंद्र सरकार को यह यकीनी बनाना चाहिए कि पंजाब के तीन दरियायों का पानी किसी भी हालत में बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में स्थानांतरित न किया जाए।
सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से नए ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए प्रस्तावित अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद एक्ट में जरूरी संशोधन करने की मांग की, ताकि पंजाब को इसकी कुल मांग और भावी पीढिय़ों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त पानी मुहैया करवाया जा सके।
यह था प्रस्ताव
पंजाब के पास फालतू पानी नहीं है और भूजल का स्तर तेजी से घटने और दरियायी पानी की कमी के कारण पंजाब के मरूस्थल बनने का अंदेशा है। पंजाब में भूजल जो राज्य की 73 प्रतिशत सिंचाई जरूरतों को पूरा करता है, अब बहुत नीचे जा चुका है। जिस कारण किसानों और गरीब लोगों की रोजी-रोटी को बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है। यह सर्वसम्मति से संकल्प किया जाता है कि भारत सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि पंजाब के दरियायी पानी को तीन दरियाओं (रावी, सतलुज और ब्यास) के बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में दुनिया भर में अपनाए गए तटीय सिद्धांत (रिपेरियन प्रिंसिपल) के मुताबिक किसी भी सूरत में स्थानांतरित न किया जाए। पानी की उपलब्धता का पुन: मूूल्यांकन करने के लिए प्रस्तावित अंतरराज्यीय नदी जल विवाद एक्ट अधीन नया ट्रिब्यूनल स्थापित करने संबंधी संशोधन करना भी शामिल है।
नेताओं ने ये उठाए मुद्दे
इराडी कमीशन के अनुसार पंजाब के नदियों में पानी 17 एमएएफ से घटकर अब 13 एमएएफ रह गया है। मेरी सरकार ने प्रधानमंत्री के समक्ष मांग रखी गई है कि पंजाब की तीन नदियों में पानी का मौजूदा स्तर पता करने के लिए नया कमीशन स्थापित किया जाए, जो कि स्थितियों को देखते यह बहुत जरूरी है। उनकी सरकार संबंधित महत्वपूर्ण मसलों पर विचार करने के लिए हर छह महीनों बाद सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। -कैप्टन अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री
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दरियाई पानी के साथ-साथ हमें गिरते जल स्तर के बारे में भी गंभीरता से विचार करना पड़ेगा। एक किलो चावल के लिए 33 लीटर पानी लगता है। एक रुपये लीटर पानी का मूल्य लगा लिया जाए तो एक किलो चावल के लिए 33 रुपये का पानी खर्च कर रहे है। जबकि इतना मूल्य फसल का नहीं मिल रहा है। पानी के मूल्य को समझना होगा। -सुनील जाखड़, कांग्रेस के प्रदेश प्रधान
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राज्य को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके पानी की मौजूदा स्थितियों का ताजा मूल्यांकन करने की मांग करनी चाहिए और रिपेरियन कानून के अनुसार पानी का पुन: विभाजन करना चाहिए। औद्योगिक पानी के प्रदूषण खासकर बूढ्ढे नाले में डाले जाते प्रदूषित पानी के कारण कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ रही है। -हरपाल चीमा, आप विधायक
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आरोप-प्रत्यारोप करने की बजाय पंजाब के जल संसाधनों की रक्षा के लिए एकता दिखानी चाहिए। एसवाइएल को बड़ा मुद्दा बताते हुए कानूनी हल के साथ-साथ इस मुद्दे की राजसी तौर पर भी पैरवी की जानी चाहिए। -बलविन्दर सिंह भूंदड़, अकाली दल के राज्य सभा सदस्य
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गेहूं /धान के फसलीय चक्र को तोडऩे और फसलीय विभिन्नता को बढ़ावा देना चाहिए। -मदन मोहन मित्तल, भाजपा
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पानी का आवंटन लोंगोवाल समझौते के अनुसार होनी चाहिए। -बंत बराड़, सीपीआइ
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पंजाब को बनता जल का हिस्सा न देकर केंद्र ने पहले ही भेदभाव किया है। -जसबीर सिंह गड़ी, बसपा
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पानी की बर्बादी रोकने के लिए सरकार को ट्यूबवेलों को मुफ्त बिजली देनी बंद करनी चाहिए। इसके साथ ही भूजल बचाने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ-साथ बारिश वाले पानी के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए। -मनजीत सिंह, तृणमूल कांग्रेस
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