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किसानों के आंदोलन से बड़े और छोटे उद्योग सभी हो रहे है प्रभावितः सीआइआइ

कृषिु सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के कारण उत्तरी राज्यों दिल्ली-एनसीआर पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई चौकियों पर यातायात और सड़क अवरोधों में बाधा आई है। कई राज्यों में यह प्रदर्शन छोटे पैमाने पर हो रहा है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 09:17 AM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 09:17 AM (IST)
किसानों के आंदोलन से बड़े और छोटे उद्योग सभी हो रहे है प्रभावितः सीआइआइ
भारत के कई हिस्सों में किसानों के आंदोलन के कारण आपूर्ति श्रृंखला और रसद में खलल उत्पन्न हुआ है।

चंडीगढ़, जेएनएन। भारत के कई हिस्सों में किसानों के मौजूदा आंदोलन के कारण आपूर्ति श्रृंखला और रसद में खलल उत्पन्न हुआ है। इसका असर आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। पिछले कुछ हफ्तों से किसानों के विरोध के कारण उत्तरी राज्यों दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई चौकियों पर यातायात और सड़क अवरोधों में बाधा आई है। कई राज्यों में यह प्रदर्शन छोटे पैमाने पर हो रहा है। पहले से ही टूटी हुई आपूर्ति श्रृंखला अब गंभीर हो गई है।

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ट्रांजिट में लगभग दो तिहाई खेप पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर राज्यों में गंतव्य तक पहुंचने के लिए 50 प्रतिशत अतिरिक्त समय ले रही है। इसके अलावा हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब के गोदामों से दिल्ली पहुंचने के लिए परिवहन वाहनों को 50 फीसद तक का सफर तय करना पड़ रहा है। इससे लॉजिस्टिक्स कॉस्ट में 8 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। सीआइआइ उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष निखिल साहनी ने कहा कि कृषि आंदोलन के तत्काल सौहार्दपूर्ण समाधान की आवश्यकता है क्योंकि इससे न केवल आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में भी भारी सेंध लग रही है, जिससे बड़े और छोटे उद्योग समान रूप से प्रभावित हो रहे हैं।

आंदोलन का असर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के पर्वतीय क्षेत्रों के उन उद्योगों के लिए अधिक गंभीर है, जो सड़क मार्ग से परिवहन किए जाने वाले सामानों पर निर्भर हैं। दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख बाजारों में कृषि उत्पादों के परिवहन को लेकर भी अनिश्चितता है, इससे इन राज्यों में कृषि क्षेत्र को काफी नुकसान हो सकता है। इन राज्यों में राजस्व और आजीविका के प्रमुख स्रोत पर्यटन पर एक महत्वपूर्ण समय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।

निखिल ने कहा कि अर्थव्यवस्था को विकास की राह पर वापस लाने की चुनौती को देखते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ सभी हितधारकों से आग्रह करता है कि वे उद्योग और अर्थव्यवस्था के हित में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को समाप्त करने और सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए तत्काल तरीके तलाशें।


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