Move to Jagran APP

दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद अकाली दल ने बदली रणनीति, पार्टी ने बागियों के लिए खोले दरवाजे

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अकाली दल ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए बागी अकालियों के लिए पार्टी के दरवाजे खोल दिए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 09:54 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 01:59 PM (IST)
दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद अकाली दल ने बदली रणनीति, पार्टी ने बागियों के लिए खोले दरवाजे
दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद अकाली दल ने बदली रणनीति, पार्टी ने बागियों के लिए खोले दरवाजे

चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अकाली दल ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए बागी अकालियों के लिए पार्टी के दरवाजे खोल दिए हैं। पूर्व सांसद रतन सिंह अजनाला के पुत्र पूर्व विधायक अमरपाल सिंह बोनी की अकाली दल में वापसी इसी रणनीति का हिस्सा है। इसकी पटकथा करीब 15 दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी। इंतजार केवल राजासांसी (अमृतसर) में अकाली दल की रैली का था।

loksabha election banner

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान ही अकाली दल को लगने लगा था कि अगर पंजाब में उसे अपने बिखरते वोट बैंक को रोकना है तो पहले अकाली दल टकसाली को रोकना ही पड़ेगा। यही कारण है कि सुखबीर बादल ने सबसे पहली सेंध ही अजनाला परिवार में लगाई, क्योंकि इस परिवार की अकाली दल टकसाली के गठन में अहम भूमिका थी। यह भी संयोग ही है कि अकाली दल को अकाली दल टकसाली में सेंध लगाने में तब सफलता मिली जब दिल्ली में भारी बहुमत से पुन: सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर पंजाब पर है। अकाली दल को पता है कि समय रहते अगर वह अपने वोट बैंक को नहीं संभालता है तो 2022 के विधानसभा चुनाव की जंग में पिछड़ जाएगा।

लगभग साढ़े तीन वर्षो बाद अकाली दल को इस तरह की कोई सफलता मिली है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा अकाली दल टकसाली बनाने के बाद पार्टी को लगातार झटके ही लग रहे थे। टकसाली (वरिष्ठ नेता) अकाली दल को छोड़ कर जा रहे थे। अहंकार में पार्टी भी उनकी परवाह नहीं कर रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी ने रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ पंजाब को लेकर करार किया तो अकाली दल ने अपने वोटबैंक की चिंता करनी शुरू कर दी है। इसी क्रम में उसने सबसे पहले नाराज हो पार्टी छोड़कर गए नेताओं को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है।

पार्टी को पता है कि समय रहते अगर बागियों को नहीं मनाया तो आम आदमी पार्टी उसके वोटबैंक में सेंध लगा सकती है। अकाली दल के सूत्र बताते हैं कि पार्टी की नजर अब पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां पर है। सेखवां अगर पार्टी में वापस आ जाते हैं तो फिर पूर्व सांसद रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा से भी बातचीत की जाएगी। उल्लेखनीय है कि अकाली दल टकसाली के गठन में अजनाला, ब्रह्मपुरा व सेखवांं की ही अहम भूमिका थी।

किसी को धक्के मारकर नहीं निकाला गया : चीमा

अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा का कहना है कि किसी को धक्के मार कर नहीं निकाला था। बाहर गए नेता महसूस करते हैं कि उनसे गलती हो गई है तो दरवाजे खुले हुए हैं।

ढींडसा परिवार बना हुआ है सबसे बड़ी चुनौती

अकाली दल के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती ढींडसा परिवार है। जिस प्रकार से राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं उससे निपटने की राह अकाली दल को फिलहाल नहीं सूझ रही है। यही कारण है कि अकाली दल ने सबसे पहले पार्टी में वापसी करने वालों के लिए दरवाजे खोले हैं।

यह भी पढ़ें: Navjot Singh Sidhu का सरकार में लौटने से इन्कार, पंजाब में हो सकते हैं AAP का चेहरा

यह भी पढ़ें: पंजाब में Aam Aadmi Party को संजीवनी देंगे प्रशांत किशोर, दिल्ली जीत के बाद पार्टी ने सौंपी जिम्मेदारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.