हवा होने लगी जहरीली, एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 के पार
तापमान में गिरावट होने से जैसे-जैसे ठंडक बढ़ने लगी है वैसे ही शहर की आबोहवा भी खराब होने लगी है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : तापमान में गिरावट होने से जैसे-जैसे ठंडक बढ़ने लगी है वैसे ही शहर की आबोहवा भी खराब होने लगी है। हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगी है। कई महीनों के बाद अचानक शुक्रवार को चंडीगढ़ की हवा जहरीली हो गई। हवा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) बढ़कर 100 के पार पहुंच गया। शुक्रवार शाम छह बजे एक्यूआइ 132 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। यह एक्यूआइ की संतोषजनक स्थिति नहीं है। इसे 100 तक ही संतोषजनक माना जाता है। इससे ज्यादा का मतलब हवा में विभिन्न तरह की प्रदूषित गैस शामिल हो चुकी हैं। सात से आठ महीने बाद एक्यूआइ 100 के पार पहुंचा है। अगर यह ऐसे ही बढ़ता रहा तो खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। पिछले साल 25 अक्टूबर को दशहर के दिन भी यह इतना नहीं था। उस दिन एक्यूआइ 121 दर्ज हुआ था। पराली जली तो अटकेंगी सांसें
इन दिनों धान कटाई का सीजन जोरों पर है। पंजाब और हरियाणा में कटाई के बाद पराली जलने की घटनाएं भी होने लगी तो हालात खराब होंगे। पराली जली तो खुली हवा में सांस लेना आसान नहीं होगा। खासकर सांस संबंधी बीमारी ग्रस्त लोगों की मुश्किल बढ़ने वाली है। अब इसके कम होने के आसार नहीं है। बल्कि ठंड बढ़ने के साथ हवा और खराब होगी। अक्टूबर के आखिर तक एक्यूआइ 200 पार पहुंच जाएगा। पराली जली तो नवंबर में यह नए रिकॉर्ड पर पहुंच सकता है। बता दें कि पंजाब व हरियाणा के खेतों में पराली जलाने से हवा में विषैली गैस मिलकर हजारों मील तक इसे प्रदूषित कर देती हैं। इससे चंडीगढ़, दिल्ली व एनसीआर जैसे शहरों की हवा भी विषैली हो जाती है। छह महीने नियंत्रण में रहा प्रदूषण
अक्टूबर में रातें ठंडी होने से तापमान में भी और गिरावट आ गई है। ठंड के दिनों में वैसे ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। चंडीगढ़ में एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्टूबर-नवंबर में 300 के पार पहुंच जाता है। पांच महीने तक जो एक्यूआइ 70 से नीचे रहा अब 132 तक पहुंच रहा है। तापमान में गिरावट के साथ यह और बढ़ेगा। छह महीने से जो स्थिति नियंत्रण में थी वह पराली जलने से अनियंत्रित हो जाएगी। कोरोना महामारी में यह कहीं ज्यादा भयानक हो सकती है। शुक्रवार को प्रमुख शहरों के प्रदूषण का हाल
शहर एक्यूआइ लेवल
चंडीगढ़ 133
नई दिल्ली 165
गुरुग्राम 192
फरीदाबाद 209
बल्लभगढ़ 286
करनाल 115
अंबाला 136
जालंधर 137
सरहिद 246
लुधियाना 98
जानें प्रदूषण का एक्यूआइ मानक
0-50 अच्छा
51-100, संतोषजनक
101-200 मॉडरेट
201-300 खराब
301-400 बेहद खराब
401-500 बेहद ज्यादा खराब पहले एक्यूआइ ने तोड़े रिकॉर्ड
नवंबर 2017 में एक्यूआइ 400 को पार कर गया था, जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। नवंबर के आस-पास पैडी सीजन में पराली जलना ही एक्यूआइ बढ़ने की सबसे बड़ी वजह माना जाती है। बचाव के लिए एडवाइजरी जारी करनी पड़ी थी। सांस संबंधी रोगियों को सबसे अधिक परेशानी हुई थी। इससे पहले राजस्थान की धूल भरी हवाओं से यह 800 तक भी पहुंच चुका है। पराली जलना कितना खतरनाक
एक टन पराली से 1724 किलो जहर
कार्बन डाईऑक्साइड - 1460 किलो
राख - 199 किलो
कार्बन मोनोऑक्साइड - 60 किलो
सल्फर डाईऑक्साइड - 2 किलो
अन्य जहरीले कण - 3 किलो