सुखबीर बादल ने लोकसभा में कहा- कृषि विधेयक किसानों और खेत मजदूरों को कर देंगे तबाह
शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने वीरवार को लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकाें का जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि कृषि बिलों से किसान व खेतिहर मजदूर बर्बाद हो जाएंगे।
चंडीगढ़/नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय कैबिनेट से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे से पहले उनके पति और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कृषि विधेयकों का लोकसभा में विरोध किया। विधेयकों पर बहस में भाग लेते हुए सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी इन बिलों का विरोध करती है। ये विधेयक किसानों और खेतिहर मजदूरों को तबाह कर देंगे।
सुखबीर ने तीनों कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए कहा कि ये विधेयक पंजाब के 20 लाख किसानों, तीन लाख मंडी मजदूरों, 30 लाख खेत मजदूरों और 30 हजार आढ़तियों को तबाह कर देंगे। उन्होंने किसानों के पक्ष में बोलने में विफल रहने और अकाली दल पर हमला करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कांग्रेस की निंदा भी की।
2019 के घोषणापत्र में एपीएमसी अधिनियम को समाप्त करने का वादा करने के लिए कांग्रेस की निंदा की
सुखबीर ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 2019 के राष्ट्रीय घोषणा पत्र में स्पष्ट कर दिया था कि वह एपीएमसी एक्ट को खत्म कर देगी। कई वादों को पूरा करने के लिए गुटका साहिब और दशम पिता के नाम पर शपथ लेने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस हाईकमान के निर्देशों पर राज्य एपीएमसी एक्ट में संशोधन करते हुए यह बात साबित कर दी थी।
सुखबीर ने कहा कि पंजाब ने आजादी के बाद कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए आगे बढ़कर देश के खाद्यान्न आपूर्ति की जिम्मेदारी ली थी। पंजाब ने 1980 में अनाज की जरूरत की 80 फीसद आपूर्ति की और अब भी केंद्रीय पूल में 50 फीसद अनाज की आपूर्ति जारी है। पंजाब ने राष्ट्र के लिए अपनी संपत्ति और जलसंसाधन का बलिदान किया है। हमने राज्य में स्थापित नहर और नलकूप नेटवर्क के कारण लगातार कठोर परिस्थितियों में भी चावल का उत्पादन किया है। पंजाब के किसानों ने हमेशा हर कठिनाई में रहकर अनाज का उत्पादन किया है।
सुखबीर ने कहा कि कांग्रेस द्वारा दुष्प्रचार किया जा रहा है कि अकाली दल ने इस मामले में यू टर्न लिया है। वह कांग्रेस के इस दावे को खारिज करते हैैं। मंत्रिमंडल की बैठक में जब इस मुद्दे पर चर्चा हुई तो पार्टी की प्रतिनिधि हरसिमरत कौर बादल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किसानों के साथ बातचीत के बाद व्यापक सहमति बनने तक का समय दिया जाना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री को इस बारे में अवगत कराया गया और किसान प्रतिनिधियों के साथ साथ विशेषज्ञों से भी बातचीत की।
सुखबीर बादल ने कहा कि किसानों द्वारा बताई गई आशंकाओं से उन्हें अवगत करवाया कि ऐसा कृषि विधेयक केंद्र को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन कोई समाधान नहीं किया गया। यही कारण है कि अकाली दल को विधेयक विरोध करना पड़ा। इस समय अकाली दल से सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल केवल दो ही लोकसभा सदस्य हैैं।
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