सुप्रीम कोर्ट में गलत जानकारी देने के बाद स्कूलों से मांगा वर्ष 2015 में भर्ती टीचर्स का डाटा
वर्ष 2015 में हुई टीचर भर्ती से जुड़े पेपर लीक मामले में 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई हुई थी। इसमें शिक्षा विभाग की तरफ से कोर्ट को गलत जानकारी दी गई। विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को विभाग में 773 टीचर्स के वर्किंग होने की जानकारी दी थी।
जासं, चंडीगढ़ : वर्ष 2015 में हुई टीचर भर्ती से जुड़े पेपर लीक मामले में 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई हुई थी। इसमें शिक्षा विभाग की तरफ से कोर्ट को गलत जानकारी दी गई। विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को विभाग में 773 टीचर्स के वर्किंग होने की जानकारी दी थी। जबकि वर्तमान में साढ़े छह सौ के करीब टीचर्स सेवाएं दे रहे हैं। स्थिति यह है कि विभाग के रवैये को देखते हुए पांच सौ के करीब अध्यापक नौकरी छोड़ चुके हैं। अब विभाग की ओर से स्कूलों से वर्ष 2015 में भर्ती टीचर्स के बारे में डाटा मांगा गया है। यह निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से सभी स्कूलों को दिया गया है। स्कूलों से कहा गया है कि वह वर्ष 2015 में भर्ती हुए टीचर्स की जानकारी दें। साथ ही जो टीचर नौकरी छोड़ चुके हैं उसके बारे में भी बताएं। यह जानकारी स्कूलों को 20 अगस्त से पहले मुहैया करानी है। जानकारी गूगल फॉर्म के जरिये स्कूल प्रिसिपल और हेडमास्टर को अपलोड करनी होगी। यह है मामला
वर्ष 2015 में 1149 जेबीटी और टीजीटी टीचर्स की भर्ती हुई। दो साल बाद टीचर भर्ती में पेपर के लीक होने की जानकारी सामने आई थी। पंजाब विजिलेंस और चंडीगढ़ पुलिस ने 49 आरोपित टीचर्स को वेरीफाई किया था। इस प्रकार भर्ती को रद कर दी गई। टीचर्स ने इसे कैट में चुनौती दी। जहां पर फैसला टीचर्स के पक्ष में आया और विभाग को टीचर्स ज्वाइन कराने पड़े। टीचर्स ने कैट के फैसले के बाद प्रोबेशन पीरिएड क्लियर कर रेगुलर करने की मांग उठाई तो दो साल तक विभाग पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट जाने के बहाने बनाता रहा। दो साल बाद नवंबर 2019 में हाई कोर्ट का फैसला भी टीचर्स के पक्ष में आया। विभाग ने खुद को सही साबित करने के लिए नवंबर 2020 में केस सुप्रीम कोर्ट में फाइल किया। जहां पर पहली सुनवाई हुई तो गलत जानकारी देकर विभाग ने सुनवाई की डेट को बढ़वा दी।