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प्रशासक साहब, शहर में खुले अवैध नाइट क्लबों की हो सीबीआइ या विजिलेंस जांच

बिना मंजूरी के शहर के मध्य मार्ग पर खुले नाइट क्लब के मामले में कांग्रेस नेता सतीश कैंथ ने प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को रविवार को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। कैंथ ने प्रशासक से सीबीआइ या विजिलेंस से जांच करवाने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 11:55 PM (IST)
प्रशासक साहब, शहर में खुले अवैध नाइट क्लबों की हो सीबीआइ या विजिलेंस जांच
प्रशासक साहब, शहर में खुले अवैध नाइट क्लबों की हो सीबीआइ या विजिलेंस जांच

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बिना मंजूरी के शहर के मध्य मार्ग पर खुले नाइट क्लब के मामले में कांग्रेस नेता सतीश कैंथ ने प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को रविवार को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। कैंथ ने प्रशासक से सीबीआइ या विजिलेंस से जांच करवाने की मांग की है। कैंथ ने पत्र में कहा है कि प्रशासन की नाक के नीचे बिल्डिग बायलॉज की धज्जियां उड़ती जा रही हैं। आजकल शहर की जनता भी सोचने पर मजबूर हो गई है कि एक तरफ पाश इलाकों सेक्टर-26, 7, 17, 22, 43 में शराब पिलाने, डिस्को के लिए नाजायज तरीके से इमारतों को बना दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया है कि सारा काम प्रशासन के अफसरों की मिलीभगत से चल रहा है। पत्र में कहा गया है कि एक तरफ कॉलोनियों, गांवों और सेक्टरों के हाउसिग बोर्ड के मकानों में अगर किसी ने अपनी जरूरत के अनुसार कुछ बदलाव किया जैसा छोटा सा केंटिलीवर, सीढि़यां को बना लिया, उसको तो प्रशासन और हाउसिग बोर्ड जबरन कैंसिल कर देता है। इस समय हाउसिग बोर्ड के मकानों में रहने वाले हजारों लोगों को मामूली बदलाव करने पर नोटिस जारी किए गए हैं। जिसके बाद आम आदमी और मध्यम वर्ग के लोग अफसरों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। जिस पर किसी का भी ध्यान नहीं है। शहर के व्यापारियों को भी मिसयूज के नोटिस भेजकर परेशान किया रहा है, लेकिन दूसरी तरह से शहर में खुले आलीशान क्लब पर प्रशासन के अधिकारियों ने मौन साधा हुआ है, ऐसे में अब प्रशासक से ही शहरवासियों को उम्मीद है कि वह इस मामले में कोई कार्रवाई करेंगे। कैंथ ने पत्र में कहा है कि दो सालों से कोविड काल के अंदर भी तकरीबन यह क्लब चलते और नए बनते रहे। दूसरी और शहर के छोटे दुकानदार बार-बार प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि उनकी बूथ, दुकानें खोलने का समय पांच बजे से बढ़ाकर सात बजे तक कर दिया जाए। जिससे उनकी रोजी रोटी चलती रहे, लेकिन प्रशासन इनकी नहीं सुन रहा, जबकि नाइट क्लब जहां पर कोरोना गाइडलाइंस के नियम टूटते हैं वहां पर प्रशासन के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। कैंथ ने यह भी लिखा है कि पैसे वाले और रसूखदार लोग अफसरों के साथ मिलकर शहर को गंदा कर रहे हैं। यह सारा खेल साल 2010 से शुरू हुआ। अधिकारी तीन साल के लिए दूसरे राज्यों से चंडीगढ़ आते हैं और लोगों को मुसीबत में डालकर चले जाते हैं। ऐसे में इस मामले की सीबीआइ और विजिलेंस जांच करवाई जाए, जो बेहतर और निष्पक्ष हो। जांच में यह बात सामने आनी चाहिए कि किन-किन अधिकारियों की शह पर यह नाइट क्लब बिल्डिग वायलेंशन करते हुए बने हैं।

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