प्रशासन के प्रति मिनट 100 लीटर ऑक्सीजन तैयार करने के दावे खोखले
पिछले साल कोरोना काल में मरीजों को ऑक्सीजन की कमी आने के बाद ढकौली के सरकारी अस्पताल में प्लांट लगाने का फैसला लिया था। लेकिन 11 महीने से प्लांट शुरू नहीं हो पाया है।
जागरण संवाददाता, जीरकपुर : पिछले साल कोरोना काल में मरीजों को ऑक्सीजन की कमी आने के बाद ढकौली के सरकारी अस्पताल में प्लांट लगाने का फैसला लिया था। लेकिन 11 महीने से प्लांट शुरू नहीं हो पाया है। कई महीनों बाद प्लांट के लिए बिजली का कनेक्शन मिला था लेकिन जब इसे चलाने की कोशिश की गई तो पता चला कि इसकी इंस्टोलेशन ठीक ढंग से नहीं हो पाई है। कोरोना संक्रमण के दौर में ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो जाता तो कोरोना मरीजों को इससे काफी मदद मिल सकती थी। सीएचसी में 2019 में ऑपरेशन थिएटर की शुरुआत की गई थी। तब यहां माइनर ऑपरेशन होते थे लेकिन यह सुविधा भी अगले साल बंद कर दी गई। मामूली जख्मी लोगों का इलाज भी सीएचसी में नहीं हो पाता। मौसमी बीमारियों के अलावा किसी भी तरह का इलाज यहां उपलब्ध नहीं है।
एक करोड़ की लागत से लगाया था प्लांट
जून 2021 में ऑक्सीजन प्लांट गुजरात की एक एनजीओ की मदद से ढकौली अस्पताल में लगाया था। इस पर करीब एक करोड़ रुपये की लागत आई थी। पिछले साल कोरोना के मरीजों को ऑक्सीजन के लिए काफी जूझना पड़ा था। तब इस ऑक्सीजन प्लांट को अस्पताल में लाया गया था। लेकिन अब यह ऑक्सीजन प्लांट सफेद हाथी बनकर रह गया है।
प्रति मिनट 100 लीटर ऑक्सीजन तैयार करना था एजेंडा
ऑक्सीजन प्लांट लगने से लोगों को काफी उम्मीदें थी। अस्पताल की ओर से बताया गया था कि यह ऑक्सीजन प्लांट प्रति मिनट 100 लीटर ऑक्सीजन तैयार करेगा। इससे 30 बेड के सरकारी अस्पताल में पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध हो जाएगी। इसके लगने के बाद अस्पताल ऑक्सीजन मामले में आत्मनिर्भर हो जाता। प्लांट की यह खासियत थी कि यह हवा से मेडिकल ऑक्सीजन तैयार कर सकता था। ऑक्सीजन बनाने के प्लांट लगने से अस्पताल प्रशासन को इधर-उधर से ऑक्सीजन मांगने की जरूरत नहीं पड़नी थी। लेकिन अस्पताल में आने के बाद ऑक्सीजन प्लांट कई महीनों से धूल फांक रहा है।
कोट्स
अभी ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं हो पाया है। इसमें कुछ तकनीकि दिक्कत ही है। कंपनी को इसे ठीक करने के लिए बुलाया है।
-पौमी चतरथ, एसएमओ ढकौली अस्पताल।