लक्ष्य हासिल करने का जुनून कोई इनसे सीखे, प्राइवेट पढ़कर बन गई कॉलेज की प्रिंसिपल
लक्ष्य हासिल करने के लिए लगन और मेहनत बहुत जरूरी है। एमसीएम डीएवी कॉलेज सेक्टर-36 की प्रिंसिपल निशा भार्गव ने प्राइवेट पढ़कर भी मुकाम हासिल किया।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। लक्ष्य हासिल करने के लिए साधनों का होना ज्यादा जरूरी नहीं है, सबसे जरूरी है लगन और मेहनत। कभी निशा भार्गव को बुआ ने यह कहते हुए आगे पढ़ाने से इन्कार कर दिया था कि लड़की ज्यादा पढ़ लिख गई तो उसकी शादी के लिए लड़का मिलना मुश्किल हो जाएगा। आज वही निशा भार्गव चंडीगढ़ के एक प्रतिष्ठित कालेज की प्रिंसिपल हैं। उन्होंने प्राइवेट परीक्षा दी और मुकाम हासिल किया।
एमसीएम डीएवी कॉलेज सेक्टर-36 की प्रिंसिपल निशा भार्गव का जन्म आनंदपुर साहिब के नजदीक स्थित नंगल में हुआ था। नंगल में एक छोटे से ट्यूशन सेंटर से स्नातक की। स्नातक के बाद बुआ ने यह कहते हुए आगे पढ़ाने से इन्कार कर दिया कि लड़की ज्यादा पढ़ लिख गई तो उसकी शादी के लिए लड़का मिलना मुश्किल हो जाएगा। निशा भार्गव ने बताया कि ऐसे में जिद करके प्राइवेट एमए इकोनोमिक्स करना शुरू कर दिया। पहले सेमेस्टर का रिजल्ट आया तो सब हैरान थे, क्योंकि मैंने सेल्फ स्टडी से ही पंजाबी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था।
एमए में टॉप करने के बाद पापा ने हौसला बढ़ाया और एमफिल के लिए अप्लाई कर दिया। बुआ का कहना था कि बीएड करा दो ताकि किसी स्कूल में टीचर बन जाए, लेकिन जनून ऐसा था कि निशा भार्गव ने बीएड करने के बजाय प्राइवेट के तौर पर एमफिल पूरी की, जिसके बाद शादी हो गई।
निशा भार्गव ने बताया कि शादी के बाद पहले एमसीएम कॉलेज चंडीगढ़ में अध्यापन के लिए अप्लाई किया और नंबर भी आ गया, लेकिन किसी कारण यहां से छोड़कर डीएवी कॉलेज होशियारपुर में 25 साल तक पढ़ाया। उसी दौरान पति के सहयोग से पीएचडी भी कर ली। फिर 2015 में प्रिंसिपल के लिए अप्लाई किया। पहला इंटरव्यू एमसीएम डीएवी सेक्टर-36 के लिए हुआ और उसमें सफल भी हो गई।
निशा भार्गव का जन्म नंगल पंजाब में हुआ। पिता स्वर्गीय इंद्र राज भाखड़ा ब्यास में कार्यरत थे और मां निर्मल घरेलू महिला थी। एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है। भाई का निधन हो चुका है और बहन इटली में सेटल है। बड़ी बेटी होने के नाते छोटों को समझाने और खुद बेहतर करने की जिम्मेवारी हमेशा से निशा भार्गव पर रही। पति गुरदीप शर्मा जीजीडीएसडी कॉलेज होशियारपुर के प्रिंसिपल हैं और पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट के सदस्य के तौर पर बीते आठ सालों से कार्यरत है।
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