आप के बागी नेता सुखपाल खैहरा की पंजाब कांग्रेस में वापसी की चर्चाएं, छवि को लेकर असमंजस
पंजाब के बागी आप नेता व विधायक सुखपाल सिंह खैहरा के जल्द ही कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं हैं। आप ने बगावत के बाद खैहरा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। वैसे कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग खैहरा की पार्टी में वापसी नहीं चाहता है।
चंडीगढ़, जेएनएन। आम आदमी पार्टी के बागी नेता व पूर्व नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा के कांग्रेस में जल्द शामिल होने की चर्चाएं हैं। खैहरा अगर कांग्रेस में शामिल होंग तो उनक छह साल बाद पार्टी में वापसी होगी। अभी तक न तो खैहरा ने पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया है। दूसरी तरफ कांग्रेस में खैहरा की एंट्री की सुगबुगाहट से पंजाब कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग खुश नहीं है और उनकी पार्टी में वापसी नहीं चाहता है। इसकी मुख्य वजह खैहरा की छवि को बताया जा रहा है। बता दें कि आप ने बगावत के बाद खैहरा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था।
सिद्धू के हमलों के बीच कांग्रेस में एक वर्ग नहीं चाहता खैहरा की वापसी
कांग्रेस छोड़ने के बाद खैहरा आम आदमी पार्टी में गए थे और बाद में आप ने उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी पंजाब एकता पार्टी बनाई थी। ऐसे में सुखपाल खैहरा को लेकर यह चर्चा भी आम है कि वह जिस पार्टी में जाते हैं, उस पार्टी के विरोध में खड़े हो जाते हैं।
कहा जा रहा है कि खैहरा की कांग्रेस पार्टी में एंट्री की राह उनके जीजा जस्टिस रंजीत सिंह ने बनाई है। रंजीत सिंह को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का करीबी माना जाता है। कैप्टन ने बेअदबी व कोटकपूरा-बहबलकलां गोली कांड की जांच के लिए रंजीत सिंह कमीशन का गठन किया था। आप से बर्खास्त किए जाने के बाद राजनीतिक रूप से खैहरा का ग्राफ काफी नीचे आ गया है। ऐसे में उन्हें एक राजनीतिक पार्टी की जरूरत है। उन्होंने जो पंजाब एकता पार्टी बनाई थी, उसे भी वह भंग कर चुके हैं।
अब कांग्रेस के एक वर्ग का कहना है पहले ही कांग्रेस के पास नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेता हैं जो अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं। ऐसे में खैहरा के आने से ऐसे दो नेता हो जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि मनी लांड्रिंग के एक मामले में मार्च महीने में एनआइए ने खैहरा के घर पर छापा मारा था। इसलिए खैहरा की घर वापसी इतनी आसान नहीं होगी।
खैहरा ने कांग्रेस छोड़ने के बाद न केवल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बल्कि कांग्रेस पार्टी पर भी जमकर हमला किया था। खैहरा ने ही राणा गुरजीत सिंह के करीबियों की ओर से रेत खनन के ठेके लेने का खुलासा किया था। इस कारण राणा गुरजीत सिंह की मंत्री की कुर्सी चली गई थी। वैसे राणा और खैहरा के बीच छत्तीस का आंकड़ा शुरू से रहा है। हालांकि अभी तक कांग्रेस की ओर से खैहरा को लेकर कोई भी अधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।
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