चंडीगढ़ में पटाखा विक्रेताओं के समर्थन में उतरी AAP, कहा- शहर के 1635 डीलर्स को रिफंड दे प्रशासन
चंडीगढ़ प्रशासन ने पटाखों की बिक्री के लाइसेंस जारी करने के लिए आवेदन मांगे थे इसके लिए 1650 लोगों ने आवेदन किया जिन्होंने 600 रुपये फीस भी जमा कराई थी। अब शहर में पटाखों पर बैन लगने के बाद इन पैसों को रिफंड करने की मांग उठ रही है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पटाखाें पर पाबंदी लगाने के बाद अब प्रशासन की कारगुजारी पर सवाल उठने लग गया है। पटाखा विक्रेताओं के समर्थन में राजनीतिक दल और व्यापारी सगठन आ गए हैं। कांग्रेस और भाजपा के बाद अब आप ने कहा है कि पटाखे की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे।
चंडीगढ़ आप के अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा है कि प्रशासन द्वारा 1635 आवेदन प्राप्त हुए थे। प्रत्येक आवेदक द्वारा आवेदन पत्र की लागत के रूप में 100 रुपये और फीस के रूप में 500 रुपये का भुगतान किया गया था। इन 1635 आवेदकों में से 96 को ड्रॉ ऑफ लॉट द्वारा चुना गया था। अब चूंकि प्रशासन ने पटाखों की बिक्री की अनुमति देने की अपनी योजना को रद कर दिया है, इसलिए इन गरीब विक्रेताओं द्वारा जमा की गई राशि को पूरी तरह से वापस किया जाना चाहिए। चूंकि पूरी प्रक्रिया विवादास्पद हो गई है और प्राकृतिक न्याय के एक न्यायिक व्यवस्था के रूप में, प्रशासन को अवैध प्रक्रिया के परिणामस्वरूप खुद को समृद्ध करने का कोई अधिकार नहीं है। आम आदमी पार्टी 1635 आवेदकों में से प्रत्येक को 600 रुपये की पूर्ण वापसी की मांग करती है।
कई विक्रेता खरीद चुके हैं पटाखा
इस समय कई विक्रेता लाखों रुपये का पटाखा बेचने के लिए भी खरीद चुके हैं। कई विक्रेताओं ने कर्ज लेकर पटाखा खरीदा है। जिस कारण विक्रेताओं को अब नुकसान का डर सता रहा है और जैसा कि ड्रा की प्रक्रिया पूरी हो गई है, इसलिए प्रशासन पर एस्टोपेल का कानून लागू होता है। विक्रेताओं ने पहले ही प्रशासन के आश्वासन पर कार्रवाई कर दी है। प्रदूषण के मद्देनजर बढ़ते प्रदूषण और कोविड के परिणामों के बारे में अधिकारी अच्छी तरह से पहले से ही जानते थे तो ये सारी ड्रा की प्रक्रिया शुरू ही क्यों की गई। अब अगर विक्रेताओं के पास वास्तव में खरीदे गए स्टॉक हैं और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, तो उन्हें केवल मोमबत्तियां और गैर-प्रदूषणकारी ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति देकर एक बीच का रास्ता मिल जाएगा, ताकि ये विक्रेता इस दिवाली पर खुद ही दीवालिया ना हो जाएं। आप के नेताओं का कहना है कि ऐसे विक्रेताओं को मुआवजा देना चाहिए।