आप के MC चुनाव लड़ने की घोषणा से भाजपा और कांग्रेस में हलचल, मुकाबला हो जाएगा तिकाेना Chandigarh News
नगर निगम चुनाव में अब तक कांग्रेस और भाजपा में टक्कर होती रही है लेकिन अगले साल होने वाले चुनाव में आप के आने से अब मुकाबला त्रिकाेणीय हो जाएगा।
चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। दिल्ली चुनाव में जीत के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव लड़ने की घोषणा से शहर में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की धड़कनें तेज हाे हो गई है।आप जहां शहर में अपना जनाधार बढ़ाने का अभियान छेड़ने जा रही है, वहीं कांग्रेस और भाजपा की नजर अाप के अगले कदम पर हाेगी।
नगर निगम चुनाव में अब तक कांग्रेस और भाजपा में टक्कर होती रही है, लेकिन अगले साल होने वाले चुनाव में आप के आने से अब मुकाबला त्रिकाेणीय हो जाएगा। हालांकि इस समय आप के पास शहर में कोई बड़ा चेहरा नहीं है।पिछले लोकसभा चुनाव में आप की टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन ने चुनाव लड़ा था लेकिन हार के बाद वह किसी भी कार्यक्रम में नहीं दिखाई दे रहे।
आप के संयोजक प्रेम गर्ग का कहना है कि दिल्ली मॉडल पर चंडीगढ़ में काम हो सकते है अौर यह आम आदमी पार्टी ही कर सकती है। उनका कहना है कि भाजपा शासित नगर निगम में अभी हाल ही में पानी के रेट में चार गुना तक इजाफा कर दिया है जबकि दिल्ली में केजरीवाल सरकार निशुल्क पानी उपलब्ध करवा रही है।
चुनाव लड़ने का अधिकार लोकतांत्रिक : भाजपा
भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद का कहना है कि चुनाव लड़ने का अधिकार लोकतांत्रिक है।हर राज्य के अपने अलग मुद्दे होते हैं।आप के आने से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ता है। दिल्ली चुनाव में भाजपा का छह प्रतिशत वोट बढ़ा है। उन्हाेंने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत कांग्रेस ने दिल्ली का चुनाव ही नहीं लड़ा है और आप को समर्थन दे दिया था। जिसका नतीजा यह देखने को मिला कि कांग्रेस का वोट नौ से गिरकर चार प्रतिशत रह गया। कांग्रेस की 67 सीटाें पर जमानत जब्त हो गई। आज दिल्ली में संगठन को और मजबूत करने की जरूरत है।
चंडीगढ़ में आप का कोई जनाधार नहीं : कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में शहर में आप उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी। आप का कोई जनाधार नहीं है। दिल्ली में फिर से आप की सरकार बनने पर केजरीवाल को बधाई। उन्हें उम्मीद है कि अगले पांच साल केजरीवाल दिल्ली का पानी साफ, ट्रैफिक और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्यओं पर विशेष ध्यान देंगे। इस कार्यकाल की तरह विज्ञापनों पर ही खर्चा करने में ध्यान नहीं होगा।दिल्ली चुनाव के परिणाम से यह भी स्पष्ट हो गया है कि भाजपा जो नफरत करने की राजनीति कर रही थी उसका उसे नुकसान हुआ है।