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विधानसभा में बिखरी दिखी आम आदमी पार्टी, चीमा को खैहरा ने बोलने न दिया

आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा में साफ बंटी हुई दिख रही है। सुखपाल सिंह खैहरा सदन मेें नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा को बाेलने नहीं दे रहे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 10:27 AM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 10:27 AM (IST)
विधानसभा में बिखरी दिखी आम आदमी पार्टी, चीमा को खैहरा ने बोलने न दिया
विधानसभा में बिखरी दिखी आम आदमी पार्टी, चीमा को खैहरा ने बोलने न दिया

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा में आम आदमी पार्टी साफ बंटी दिख रही है। गंभीर मुद्दों पर बहस के समय भी आम आदमी पार्टी के विधायक बंटे रहे। सुखपाल सिंह खैहरा गुट के आठ विधायकों ने विधानसभा में 'पंजाबी एकता जिंदाबाद' का नारा लगाते हुए प्रवेश किया तो नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा के सहयोगी 12 विधायक टुकड़ों में बंट कर सदन के अंदर आए। सदन में जब भी चीमा ने किसी मुद्दे पर बोलने की कोशिश की तो खैहरा उनसे पहले ही किसी न किसी मुद्दे पर स्पीकर का ध्यान अपनी तरफ खींच लेते थे।

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नेता प्रतिपक्ष चीमा को बोलने का मौका ही नहीं दिया खैहरा ने

आप की फूट व बगावत का असली नजारा तो उस समय दिखाई दिया जब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 1984 के दंगों में कांग्रेसी नेताओं की भूमिका पर बोल रहे थे। उन्होंने एडवोकेट एचएस फूलका की तरफ  इशारा करके कहा कि वह जानते हैं कि क्या हकीकत है। इसके बाद फूलका को मौका मिल गया और फूलका ने कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

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फूलका ने अपनी बात रखने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन बात नहीं बनी। इस पर फूलका ने स्पीकर के सामने अाकर हंगामा करना शुरू कर दिया। जब वह अकेले पड़ गए तो उन्होंने भागकर खैहरा गुट के विधायकों से कहा कि वे चुप क्यों बैठे हैं? उनका साथ क्यों नहीं दे रहे हैं? फूलका के कई बार बुलाने के बाद भी खैहरा गुट के विधायक उनके साथ खड़े नहीं हुए। इसके बाद फूलका दो बार खुद खैहरा के पास आए, लेकिन खैहरा ने चीमा की तरफ इशारा किया कि उन्हें साथ ले लो। बात बनती न देखकर फूलका ने स्पीकर के सामने हंगामा करना शुरू कर दिया।

आप की तरफ से खैहरा, चीमा,फूलका, कंवर संधू, अमन अरोड़ा व मीत हेयर ही सदन में विभिन्न मुद्दों व सवालों को लेकर उपस्थिति दर्ज करवा पाने में सफल रहे। एक मौका ऐसा भी आया कि जब आप विधायक रुपिंदर कौर रूबी बोलने के लिए खड़ी हुईं तो अकालियों के हंगामे के चलते वह अपने विचार रख ही नहीं पाई। आप विधायकों ने भी उनका साथ नहीं दिया और अकेली पड़ी रूबी चुप होकर बैठ गईं।

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