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इस दंपती में है कमाल का जज्बा; एक लीवर से जिंदा दोनों, अमेरिका में जीत डाले 14 मेडल

सकारात्मक सोच और मुश्किलों से लड़ने का जज्बा इंसान को दूसरे के लिए प्रेरणास्रोत बना देता है। चंडीगढ़ के एक दंपती ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 01:39 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 10:52 AM (IST)
इस दंपती में है कमाल का जज्बा; एक लीवर से जिंदा दोनों, अमेरिका में जीत डाले 14 मेडल
इस दंपती में है कमाल का जज्बा; एक लीवर से जिंदा दोनों, अमेरिका में जीत डाले 14 मेडल

चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। सकारात्मक सोच और मुश्किलों से लड़ने का जज्बा इंसान को दूसरे के लिए प्रेरणास्रोत बना देता है। चंडीगढ़ के एक दंपती ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया। यह दंपती बीते आठ साल से एक ही लीवर के सहारे जिंदगी जी रहा है। लेकिन, उनका जिंदगी जीने का जज्बा बेमिसाल है। इनका नाम प्रवीण कुमार रतन और रूपा अरोड़ा है।

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अमेरिका में अंगदान करने वालों के लिए आयोजित इंटरनेशनल खेल प्रतियोगिता में दोनों ने 7-7 गोल्ड मेडल जीत नया रिकार्ड कायम किया है। भारत से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाला यह अकेला दंपती है। प्रवीण यूटी सचिवालय के इंजीनियरिंग विभाग में सीनियर अकाउंट ऑफिसर हैं, जबकि उनकी पत्नी रूपा सेक्टर-38 गवर्नमेंट हाई स्कूल में टीचर हैं।

पदक दिखाता दंपती।

दोनों ने ट्रांसप्लांट गेम्स ऑफ अमेरिका में 14 मेडल जीते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता में ऐसे लोग व्यक्ति हिस्सा लेते हैं, जिन्होंने किसी को अंगदान किया हो। रूपा ने अपने पति को लीवर का 65 फीसद हिस्सा डोनेट किया हुआ है, जिससे उनकी जिंदगी बच सकी।

परिवार के साथ दंपती।

540 लोगों ने लिया था प्रतियोगिता में हिस्सा

दो से सात अगस्त तक सॉल्ट सिटी, अमेरिका में आयोजित ट्रांसप्लांट गेम्स में दुनिया भर के देशों से अपने परिवार या अन्य लोगों को अंगदान करने वाले 540 लोगों ने हिस्सा लिया। प्रवीण के अनुसार पत्नी रूपा अरोड़ा का प्रदर्शन उनसे भी बेहतर रहा। दोनों ने 100 मीटर, 1500 मीटर, डिस्क थ्रो, जैवलीन थ्रो, सॉफ्ट बॉल, साइकिलिंग जैसी खेलों में भाग लिया। रूपा अरोड़ा ने 20 किलोमीटर साइकिलिंग में भी गोल्ड मेडल हासिल किया है।

विदेश में प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गया दंपती।

2010 में हुई थी सर्जरी

2010 में प्रवीण को पीलिया हो गया था। इससे उनका लीवर खराब हो गया। डॉक्टर की सलाह पर 2011 में उनकी पत्नी रूपा ने लीवर डोनेट करने का फैसला लिया। गुरुग्राम स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में करीब 18 घंटे तक सर्जरी चली। यह अपने आप में दुर्लभ सर्जरी थी। इसके चार दिन बाद तबीयत खराब होने पर फिर सर्जरी करानी पड़ी, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का मुश्किल दौर में बखूबी साथ दिया।

बेटी मनिका व बेटा आदविक के साथ दंपती।

अंगदान के लिए लोगों को करते हैं प्रेरित

प्रवीण और रूपा ने कहा कि लीवर ट्रांसप्लांट के बाद दोनों की जिंदगी को लेकर सोच बदल गई। दोनों जरूरतमंदों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करेंगे। इन्होंने एक संस्था भी बनाई है, जिसका नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर आर्गेन डोनर है। फेसबुक पेज पर भी लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करते हैं। एक हजार से अधिक लोग उनके अभियान से जुड़ चुके हैं। दोनों लोगों का आर्गेन डोनर कार्ड बनाने में भी मदद करते हैं। प्रवीण बताते हैं कि नियमित व्यायाम से अंगदान करने वाला व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकता हैं।

 

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस में भी नाम दर्ज

दोनों का अमेरिका में हुई गेम्स में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस में भी नाम दर्ज हो गया है। प्रवीण और रूपा की आठ साल की बेटी मनिका और चार साल का बेटा आदविक भी गेम्स में हिस्सा लेने गए थे।

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