आठ हजार करोड़ रुपये के बिल सरकारी खजाने में फंसे
पंजाब सरकार बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रही है। वित्तीय हालात कमजोर होने के कारण सरकार को नई व चल रही योजनाओं के लिए धन जुटाना बड़ा संकट बना हुआ है।
By Edited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 02:58 AM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 03:03 PM (IST)
जय सिंह छिब्बर, चंडीगढ़: पंजाब सरकार बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रही है। वित्तीय हालात कमजोर होने के कारण सरकार को नई व चल रही योजनाओं के लिए धन जुटाना बड़ा संकट बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार सरकारी खजाने में आठ हजार करोड़ रुपये के बिल खजाने में पास होने के लिए पेंडिंग हैं। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार इन आठ हजार करोड़ के बिलों में छह हजार के करीब तो अलग-अलग विकास कार्यो के हैं, जिनकी ठेकेदारों, सोसायटियों व विभागों को अदायगी की जानी है। इसके अलावा सरकार की लोक भलाई स्कीमों, मुलाजिमों की पेंशन, मेडिकल बिल, भत्ते, जीपीएफ, टेलीफोन बिल समेत कई तरह की अदायगियां पेंडिंग हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कैप्टन सरकार ने पहला साल होने के कारण किसी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लगाया। दूसरा बड़ा कारण केंद्र सरकार की तरफ से अलग-अलग टैक्सों की जगह जीएसटी लगाना रहा, जिस वजह से टैक्स केंद्रीय खातों में जमा हो रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी में से पंजाब के हिस्से की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। यही नहीं सरकार की तरफ से गैर कानूनी कॉलोनियों को रेगुलर करने को लेकर की गई सख्ती कारण प्रॉपर्टी का कारोबार भी धीमा हो गया है। इस तरह स्टांप ड्यूटी से जमा होने वाला राजस्व भी कम हो गया है। सरकार को मुलाजिमों की तनखाहा देने के भी लाले हैं। पिछले दो महीनों की तनख्वाह भी किश्तों में दी गई। इसी तरह सरकार की आटा-दाल स्कीम का भुगतान भी नहीं किया गया, जबकि काग्रेस सरकार ने आटा-दाल के साथ मुफ्त चाय-पत्ती देने का भी वादा किया है। इसी तरह सामाजिक विभाग की ओर से अलग-अलग स्कीमों के अंतर्गत दी जाती पेंशन का भुगतान भी लगातार नहीं हो रहा। नए टैक्स लगाने का सुझाव सरकार को वित्तीय संकट से बचाने के लिए कुछ समय पहले उच्च अधिकारियों ने नए टैक्स लगाने का सुझाव मुख्यमंत्री को दिया था, परन्तु मुख्यमंत्री का फोकस दो बड़े वादों 'घर-घर रोजगार' और किसानों की र्ज माफी पर केंद्रित है। आधिकारियों के लिए बड़ी चिंता वाली बात यह है कि पिछले दिनों जीएसटी कौंसिल की मीटिंग में पेट्रोल, डीजल को भी जीएसटी के घेरे में लाने की चर्चा की गई है। यदि पेट्रो पदार्थ भी जीएसटी के घेरे में आ गए, तो सरकार की स्थिति और जटिल बन जाएगी।
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