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देश में 80 से 90 प्रतिशत दूध मिलावटी, घातक बीमारियों का खतरा, हाई कोर्ट में रखी रिपोर्ट में हुआ खुलासा

भारत में 80 से 90 फीसद दूध व दुग्ध उत्पाद मिलावटी हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्र सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 09:46 AM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 06:01 PM (IST)
देश में 80 से 90 प्रतिशत दूध मिलावटी, घातक बीमारियों का खतरा, हाई कोर्ट में रखी रिपोर्ट में हुआ खुलासा
भारत में 80 से 90 फीसदी दूध मिलावटी। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा केंद्र सरकार के मंत्रालयों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दाखिल जनहित याचिका में बताया गया कि देश में मिल रहे दूध व दूध से जुड़े 80 से 90 प्रतिशत उत्पाद मिलावटी हैं।

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हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ ने इसे रोकने के लिए उठाए कदमों की जानकारी दी। इस जानकारी को रिकार्ड में रखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आगे भी इसी प्रकार जांच जारी रखने का आदेश दिया है।

सर्विंग इन आर्गेनाइजेशन इन लीगल इनिशिएटिव संस्था ने एडवोकेट कीरत पाल सिंह के माध्यम से याचिका दायर कर बताया कि प्रकाशित एक आर्टिकल में बताया है कि भारत के 70 प्रतिशत से अधिक दुग्ध उत्पाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर सही नहीं उतरे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के दुग्ध उत्पादों की जांच नहीं की गई तो 2025 तक 87 प्रतिशत भारतीय घातक बीमारियां कैंसर आदि का शिकार हो सकते हैं। विज्ञानं एवं तकनीकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 89.2 प्रतिशत दुग्ध उत्पादों में किसी न किसी तरह की मिलावट पाई है।

हाई कोर्ट को बताया गया कि भारत दुग्ध उत्पाद के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है, लेकिन यहां मिलावटी दुग्ध उत्पाद कहीं ज्यादा है। अगर आंकड़ों को देखें तो तो देश में 14 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है, जबकि खपत 65 करोड़ लीटर है।

उत्पादन और खपत के बीच अंतर से साफ है कि मांग मिलावटी दूध और दुग्ध उत्पादों से पूरी की जा रही है। हाई कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार समय-समय पर मिलावटी दूध और दुग्ध उत्पादों की जांच के निर्देश जारी करती है बावजूद इसके इन निर्देशों का पालन सख्ती से नहीं हो रहा।

याची ने हाई कोर्ट से अपील की कि केंद्र सहित राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर दूध और दुग्ध उत्पादों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए और आम लोगों को जागरूक किया जाए कि वह कैसे मिलावटी दुग्ध उत्पादों की जांच कर सकते हैं।

हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ ने जवाब दाखिल करते हुए बताया कि नियमित जांच जारी है। हाईकोर्ट ने जांच को भविष्य में भी ऐसे ही जारी रखने का आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

नकली दूध बनाने में घातक पदार्थों का होता है इस्तेमाल

हाई कोर्ट को बताया गया कि नकली दूध बनाने में घातक डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, सफेद पेंट, हाईड्रोपेरॉक्साइड, वनस्पति तेल, फर्टिलाइजर जैसे घातक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। यह सभी पदार्थ मानवीय स्वास्थ्य के लिए घातक हैं और कैंसर जैसे कई घातक रोगों का कारक है।


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