पोस्टर-बैनर लगाने पर संस्था को 68 लाख का नोटिस
कार्रवाई करते हुए नगर निगम ने संस्था को 6
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : धार्मिक कार्यक्रम के पोस्टर-बैनर चौराहों पर लगाने के मामले में कार्रवाई करते हुए नगर निगम ने संस्था को 68 लाख रुपये का नोटिस भेजा है। इतना ही नहीं, संस्था के प्रधान को एमसी की कांट्रेक्चुअल नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है। एमसी कमिश्नर केके यादव ने यह नोटिस जारी कर संस्था को 23 दिसंबर 2019 तक पेनल्टी जमा कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन संस्था ने इसे गलत बताते हुए अनुसूचित जाति आयोग में जाने की तैयारी कर ली है। भाजपा के पूर्व काउंसलर और वरिष्ठ नेता एडवोकेट सतिदर सिंह ने इसे एससी कमीशन में रखने की बात कही है। साथ ही इसे भेदभावपूर्ण कार्रवाई करार दिया है। बता दें कि 11 अक्टूबर 2019 को महर्षि वाल्मीकि की जयंती थी। मौके पर वाल्मीकि जयंती आयोजन समिति रामदरबार ने कार्यक्रम की सूचना संबंधी पोस्टर-बैनर कुछ जगहों पर लगा दिए। एडवर्टाइजमेंट कंट्रोल एक्ट के तहत कार्रवाई
कार्यक्रम संपन्न होने के बाद एमसी ने संस्था के प्रधान गुरचरण सिंह को पश्चिम बंगाल एडवर्टाइजमेंट कंट्रोल एक्ट के तहत यह कार्रवाई की गई है। इस एक्ट के तहत चंडीगढ़ में कोई विज्ञापन बिना मंजूरी लिए नहीं लगाया जा सकता। इसी वजह से 18 दिसंबर 2019 को प्रधान गुरचरण सिंह को 68 लाख रुपये का नोटिस भेज दिया गया। इतना ही नहीं, गुरचरण को नौकरी से भी हटा दिया गया। गुरचरण सिंह ने एडवोकेट सतिदर सिंह से अपनी पीड़ा सुनाई। जिस पर सतिदर सिंह ने एससी कमीशन में मुद्दा उठाने का भरोसा दिया है। सतिदर ने लगाए भेदभाव के आरोप
सतिदर सिंह ने बताया कि भगवान वाल्मीकि की जयंती पर हर साल शोभायात्रा निकलती है। साथ ही विभिन्न संस्थाएं अपने कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं। इस तरह की कार्रवाई कभी धार्मिक मामलों में नहीं हुई। यह मामला भेदभावपूर्ण लग रहा है। ऐसी सभी संस्थाओं में से उन्हें ही टारगेट क्यों किया गया। शोरूम के सामने तय आकार से बड़े फ्लैक्स हर सेक्टर में लगे हैं। इन पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती।