Brain Stroke का बढ़ रहा खतरा, बुजुर्गों के साथ युवा भी हो रहे जानलेवा बीमारी का शिकार Chandigarh News
Brain Stroke के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक साल के अंदर पीजीआइ में 600 मरीज ब्रेन स्ट्रोक का इलाज करवाने के लिए पहुंचे हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। Brain Stroke या अटैक भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। बीते एक साल यानी अक्टूबर 2019 तक पीजीआइ चंडीगढ़ में Brain Stroke के करीब 600 मरीज पहुंचे हैं। इनमें से 340 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज 24 घंटे विंडो पर दर्ज किए गए। पीजीआइ चंडीगढ़ में बीते एक साल में ब्रेन स्ट्रोक के 60 मरीजों की रिकवरी की गई। इनमें से आधे मरीजों की पूरी तरह से रिकवरी सफल रही।
पीजीआइ के डॉक्टरों का कहना है कि आधुनिक समय में Brain Stroke जैसी समस्या बढ़ती जा रही है। ब्रेन स्ट्रोक से दुनिया भर में लगभग 80 मिलियन लोग प्रभावित हो रहे हैं और लगभग 50 मिलियन लोग ब्रेन स्ट्रोक के कारण स्थायी विकलांगता झेल रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है। भारत में सभी स्ट्रोक के चार-पांचवें हिस्से से अधिक है।
13 से 17 नवंबर तक मनाया जाएगा स्ट्रोक वीक
पीजीआइ चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी के तत्वावधान में न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से World Stroke Day के तौर पर 13 से 17 नवंबर तक Stroke Week का आयोजन किया जा रहा है। Brain Stroke या ब्रेन अटैक भारत में मृत्यु का 2 प्रमुख कारण और विकलांगता का प्रमुख कारण है। Stroke के बारे में जागरूकता की कमी, इसकी रोकथाम और उपचार इस खतरनाक बीमारी की रोकथाम के लिए सबसे बड़ी बाधा है। पीजीआइ चंडीगढ़ के डॉक्टरों की ओर से Stroke Week में कई अहम जानकारी दी जाएंगी।
स्ट्रोक के रोगियों को करेंगे शिक्षित
ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट रंजीत पाठक, फिजियोथेरेपिस्ट राजन चेलप्पा और डॉ. अनुराधा शर्मा विभिन्न फिजियोथेरेप्यूटिक उपायों और अभ्यासों के बाद स्ट्रोक के बाद आने वाले व्यावहारिक सुझावों के साथ स्ट्रोक के रोगियों को शिक्षित करेंगे। पीजीआइ में मनाए जाने वाले Stroke Week के तहत मरीजों को जानकारी दी जाएगी। डॉक्टरों ने बताया कि स्ट्रोक न केवल बुजुर्गों को प्रभावित करता है, बल्कि युवा लोगों को भी समान जोखिम होता है।
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