नौवीं के सेमेस्टर एग्जाम में फिर फेल हुआ शिक्षा विभाग
शिक्षा विभाग अनेक कोशिशों के बाद भी परीक्षा परिणाम सुधारने में कामयाब नहीं हो रहा है। सितंबर में हुए सेमेस्टर एग्जाम में नौवीं कक्षा का परिणाम एक बार फिर से मात्र 50 प्रतिशत पर सिमट गया है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शिक्षा विभाग अनेक कोशिशों के बाद भी परीक्षा परिणाम सुधारने में कामयाब नहीं हो रहा है। सितंबर में हुए सेमेस्टर एग्जाम में नौवीं कक्षा का परिणाम एक बार फिर से मात्र 50 प्रतिशत पर सिमट गया है। इससे पहले मई 2018 में आए दसवीं के खराब परिणाम के बाद विभाग ने शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कई उपाय किए। कभी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स का समय बढ़ाया गया तो कभी स्टूडेंट्स की रेमेडियल क्लासें लगाई गई लेकिन उसके बाद भी परिणाम वैसा ही रहा है। 1 से 24 सितंबर तक हुए एग्जाम को सेंट्रलाइज किया गया था, जिसके लिए प्रश्न पत्र भी विभाग की तरफ से तैयार किए गए थे। गौरतलब है कि 94 स्कूलों में नौंवी कक्षा की परीक्षा हुई है। जिसमें करीब 10 हजार स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी है।
दसवीं का परिणाम रहा था 66 प्रतिशत
दसवीं की परीक्षा सीबीएसई की ओर से ली गई थी। इसमें दसवीं का परिणाम 66 प्रतिशत आया था। यह चंडीगढ़ में दसवीं की पिछले दस सालों में सबसे कम परिणाम रहा था। इसके बाद विभाग ने इसमें सुधार करने के लिए कई प्रकार के कदम उठाए लेकिन वह इस एग्जाम में किसी काम नहीं आए है।
नौवीं की मार्किंग की गई है टाइट
नौवीं कक्षा के स्टूडेंट्स को हर साल ग्रेस मार्क देकर पास किया जाता था। उसमें स्टूडेंट्स को 15 से 45 नंबर तक दिए जाते थे लेकिन इस साल विभाग ने सभी प्रिंसिपल को ऑर्डर जारी किए है कि किसी भी स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क नहीं मिलेंगे। जो स्टूडेंट्स जितना काबिल है उसकी मार्किंग उसी हिसाब से होनी चाहिए। सेमेस्टर एग्जाम के परिणाम को देखकर क्लीयर है कि इस साल नौंवी का वार्षिक परिणाम भी बेहद खराब रहने वाला है। इस साल किसी भी स्टूडेंट्स को कोई ग्रेस मार्क नहीं दिए जाएंगे।
नींव कमजोर है : आरएस बराड़
इस मामले में स्कूल एजुकेशन के डायरेक्टर आरएस बराड़ ने कहा कि नींव कमजोर है जिसके कारण इस प्रकार का परिणाम आया है। सुधार के प्रयास जारी है और वह आगे भी जारी रहेंगे।