चंडीगढ़ में 40 फीसद लोग ऐसे, जिन्होंने नहीं लगाया कभी कोई पौधा
पौधा नहीं लगाने के अलग-अलग बहाने दैनिक जागरण ने लोगों से बातचीत कर किया सर्वे।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : पर्यावरण की चिता तो सभी करते हैं। हर किसी को ग्रीनरी पसंद है। लेकिन जब पौधारोपण ही नहीं करेंगे, तो यह ग्रीनरी कैसे बढ़ेगी। चंडीगढ़ में 40 फीसद लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कभी कोई पौधा लगाया ही नहीं है। कुछ सोचने-विचारने में ही सालों निकाल चुके हैं। जबकि पर्यावरण पर चर्चा करने में यह सबसे आगे होते हैं। दैनिक जागरण ने वीरवार को रैंडम सर्वे किया, तो कुछ ऐसे ही परिणाम निकलकर सामने आए। शहर के अलग-अलग एरिया में राह चलते 70 लोगों से पौधे लगाने के बारे में पूछा गया। जिसमें से 28 ने कहा कि उन्होंने अभी तक कभी कोई पौधा नहीं लगाया। कई बार सोचा लेकिन कर नहीं पाए। जबकि 38 ऐसे मिले, जिन्होंने कहा कि उन्होंने पौधारोपण किया है। हालांकि इनमें भी कई ऐसे मिले, जिन्हें यह याद नहीं था कि आखिरी बार पौधारोपण किस साल में किया था। चार ऐसे मिले, जिन्होंने कहा कि वह पौधारोपण कार्यक्रम में शामिल हुए। लेकिन खुद पौधारोपण नहीं किया। अब अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रीनरी की चाह रखने वाले तो सभी हैं, लेकिन पौधा कोई नहीं लगाना चाहता। पौधे नहीं लगाने के अलग-अलग बहाने हैं। दैनिक जागरण ने सेक्टर-8 लाइट प्वाइंट, सुखना लेक, ट्रांसपोर्ट चौक, आइएसबीटी-17 के बाहर और सेक्टर-22 मोबाइल मार्केट में सर्वे के आधार पर यह आकलन किया है। सर्वे के दौरान लोगों को इस सावन में पौधारोपण करने का आग्रह किया गया। यह जन्मदिन, सालगिरह पर करवा रहे पौधारोपण
कुछ पर्यावरण प्रहरी ऐसे भी हैं, जो खुद पौधारोपण करने के साथ दूसरों को भी इसकी आदत डाल रहे हैं। पौधारोपण के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। चंडीगढ़ की हरियाली से प्रभावित कांस्टेबल देवेंद्र सूरा आठ हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। सैकड़ों ऐसे हैं, जो अब छाया और फल देने लगे हैं। देवेंद्र सूरा दूसरों को पौधारोपण कराने के लिए उनके जन्मदिन, सालगिरह जैसे मौके पर निशुल्क पौधे देकर रोपण कराते हैं। इतना ही नहीं, वे शादी में भी पौधों का स्टॉल लगवाते हैं, जिससे निशुल्क पौधे वितरित किए जाते हैं। दूध के खाली पैकेट में पौधे उगा बांटे
भवन विद्यालय की टीचर सरनजीत कौर बच्चों से दूध के खाली पैकेट मंगवाकर उनमें बीज से पौधे उगाती हैं। फिर तैयार हो चुके पौधों को रोपा जाता है। पिछले साल मॉनसून के दौरान ऐसे सैकड़ों पौधे लगाए गए। वेस्ट प्लास्टिक और बोतल का भी पौधारोपण में रीयूज किया जाता है। वह बच्चों में भी पौधों और पर्यावरण के प्रति लगाव पैदा कर रही हैं। नए लगा रहे पुराने भी बचा रहे
पर्यावरण प्रेमी राहुल महाजन निजी तौर पर 10 हजार पौधे निशुल्क बांटकर उन्हें लगवाते हैं। दूसरों को भी पर्यावरण से जोड़ते हैं। वह नए पौधे लगाने के साथ पुरानों को बचाने के लिए ट्रांसप्लांटेशन भी खूब कर रहे हैं। काटने के बाद दूसरी जगह ट्रांसप्लांट किए गए दर्जनों पेड़ हरे-भरे होकर पर्यावरण का हिस्सा बन चुके हैं। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए सालभर कार्यक्रम आयोजित करवाते रहते हैं।