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कोरोना की मार... चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर ऑटोमैटिक लांड्री बंद होने से 40 कर्मचारियों से छीना रोजगार

इस वांशिग प्लांट से ही चंडीगढ़ कालका अंबाला शिमला बठिंडा और मोहाली रेलवे स्टेशन से चलने वाली तमाम गाड़ियों में दिए जाने वाली स्लीपिंग किट (कंबल चादर और तकिया) समेत पर्दों की धुलाई होती थी। इस लांड्री में हर समय 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान रहता था।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 03:38 PM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 03:38 PM (IST)
कोरोना की मार... चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर ऑटोमैटिक लांड्री बंद होने से 40 कर्मचारियों से छीना रोजगार
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर ऑटोमैटिक लांड्री पर काम करते कर्मचारी। (यह पहले की फोटो है)

चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। यात्रियों को बेहतरीन सुविधा मुहैया करवाने के लिए रेलवे बोर्ड (Railway Board) की तरफ से चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन (Chandigarh Railway Station) की वांशिग लाइन में लाखों रुपये खर्च करके ऑटोमैटिक लांड्री मशीनें लगाई थी। इस वांशिग प्लांट से ही चंडीगढ़ कालका, अंबाला, शिमला, बठिंडा और मोहाली रेलवे स्टेशन से चलने वाली तमाम गाड़ियों में दिए जाने वाली स्लीपिंग किट (कंबल, चादर और तकिया) समेत पर्दों की धुलाई होती थी। इस लांड्री में हर समय 50 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान रहता था।

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बावजूद इसके मजबूरी के कारण इसमें 40 लोग काम कर अपना पेट पाल रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के बढ़ते खतरे को देखते हुए ज्यादातर ट्रेनें बंद हैं। सुरक्षा के लिहाज से रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों में यात्रियों दिए जाने वाली स्लीपिंग किट बंद कर दी है। प्लांट पिछले छह महीनों से बंद है इससे इसमें काम करने वाले कर्मचारी भी बेरोजगार हो गए हैं।

अब यात्रियों की दी दिया जाता है सामान्य कंबल

कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को देखते अब रेलवे की तरफ से यात्रियों को स्लीपिंग किट की जगह एक सामान्य कंबल दिया जाता है,यात्री इस्तेमाल करने के बाद या तो इस कंबल को अपने साथ ले जा सकते हैं या फिर कूडेदान में डाल सकते हैं। धुलाई का काम पूरी तरह से बंद है। बता दें इस बाशिंग प्लांट में एक 50 किलोग्राम और एक 100 किलोग्राम का वॉशर है। धुलाई के बाद स्टीम के सहारे कपड़े सुखाए जाते हैं, यह स्टीम बड़ी पाइपों के सहारे इन वाशरों तक लाई जाती है, इसके अलावा एक बड़ा ड्राइयर और एक बड़ी प्रेस है जिसमें एक घंटे में 400 से 450 के बीच चादरों को प्रेस किया जा सकता है।

कर्मचारी बोले- हमारे साथ सौतेला व्यवहार क्यों

लांड्री में काम करने वाले विजय पाल ने बताया कि हम सब कर्मचारी डेलीवेज पर इस लांड्री में काम करते थे, लेकिन अब इस वाशिंग प्लांट के बंद होने के बाद हम बेरोजगार हो गए। ऐसा नहीं है कि रेलवे बोर्ड के लिए इस लांड्री को चलाने में कोई बड़ा खर्च आ रहा था, जब अधिकारियों व कर्मचारियों को बिना ट्रेनों की आवाजाही के लाखों रुपये की सैलरी दी जा रही है तो हमारे साथ गरीब मार क्यों की गई। कोरोना काल में कहीं कोई काम नहीं है ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि हम कैसे अपने परिवार को पालें।

ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने पर फिर से शुरू होगा प्लांट: अधिकारी

वहीं, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जब ट्रेनों का संचालन ही बंद कर दिया गया हैं तो इस ऑटोमैटिक वॉशिंग प्लांट को चलाने का कोई फायदा नहीं हैं, जब रेलवे बोर्ड की तरफ से दोबारा ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होगी तो इसको शुरू किया जाएगा।


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