डिस्पेंसरी व सिविल अस्पताल में भी होगा गंभीर बीमारियों का इलाज, 31 स्पेशलिस्ट डाक्टर तैनात
अब तक मरीज गंभीर बीमारी का इलाज करवाने के लिए पीजीआइ जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 की तरफ दौड़तेे हैं। इससे इन अस्पतालों में वर्कलोड काफी अधिक रहता है। ओपीडी के साथ पुराने मरीजों का फालोअप अधिक होने से भी भीड़ रहती है।
चंडीगढ़, जेएनएन। गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों को इलाज के लिए अब बड़े अस्पतालों की तरफ नहीं भागना होगा। अब स्पेशलिस्ट डाक्टर आसपास के सरकारी अस्पताल में ही मिल जाएंगे। यूटी प्रशासन ने नए रिक्रूट हुए 31 स्पेशलिस्ट डाक्टरों को शहर में अलग-अलग जगह तैनात करने का फैसला लिया है। ये अलग-अलग सेक्टरों में बनी डिस्पेंसरी और सिविल अस्पताल में बैठेंगे।
जिससे मरीजों को अब गंभीर बीमारी का इलाज कराने के लिए बड़े अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा। अब तक मरीज गंभीर बीमारी का इलाज करवाने के लिए पीजीआइ, जीएमसीएच-32 और जीएमएसएच-16 की तरफ दौड़तेे हैं। इससे इन अस्पतालों में वर्कलोड काफी अधिक रहता है। ओपीडी के साथ पुराने मरीजों का फालोअप अधिक होने से भी भीड़ रहती है।
कोरोना महामारी में भीड़ संक्रमण फैलने का मुख्य कारण बन सकती है। इस वजह से अब यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने नए रिक्रूट किए 31 स्पेशलिस्ट को अलग-अलग अस्पतालों में तैनात करने के आदेश दिए हैं। चंडीगढ़ के लगभग हर सेक्टर में डिस्पेंसरी है। सेक्टर-22, मनीमाजरा, 45 और 48 जैसे सेक्टरों में तो बड़े अस्पताल हैं। लेकिन इन अस्पतालों में जाने से मरीज परहेज करते है। इसकी वजह यही थी कि इनमें स्पेशलिस्ट डाक्टर नहीं मिलते थे। पुरानी बीमारी से ग्रस्त मरीजों को पीजीआइ, 32 और 16 रेफर कर दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
बेड तक पाइप से आक्सीजन की सप्लाई
चंडीगढ़ के अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर को लेकर किल्लत नहीं रहेगी। केंद्र सरकार नेे चंडीगढ़ को दो आक्सीजन प्लांट सेक्शन कर दिए हैं। यह प्लांट सेक्टर-48 और सेक्टर-32 अस्पताल में सेटअप किए जाएंगे। गवर्नमेंट मेडिकल कालेज एंड अस्पताल की एक्टिंग डायरेक्टर कम प्रिंसिपल ने यह जानकारी पंजाब राजभवन में आयोजित कोविड वार रूम मीटिंग में दी।
प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने दो आक्सीजन प्लांट सेक्शन करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। प्रशासक ने कहा कि यह प्लांट सभी अस्पताल के बेड तक पाइप से आक्सीजन की सप्लाई उपलब्ध कराएंगे। अभी सिलेंडर से आक्सीजन सप्लाई होती है। नए प्लांट शुरू होने के बाद सिलेंडर का झंझट खत्म हो जाएगा।