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हवा में जहर घोल रहे मोहाली के किसान, इस साल पराली जलाने के 262 मामले आए सामने

मोहाली जिले का डेराबस्सी ब्लाक पराली जलाने में सबसे आगे है। पराली जलाने के कारण मोहाली की हवा पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा जहरीली हुई है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक मोहाली में वातावरण प्रदूषित होने का मुख्य कारण पराली का जलना है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 11:38 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 11:38 AM (IST)
हवा में जहर घोल रहे मोहाली के किसान, इस साल पराली जलाने के 262 मामले आए सामने
2019 में मोहाली में पराली जलाने के 201 मामले दर्ज किए गए थे।

मोहाली, जेएनएन। पंजाब और हरियाणा की राजधानी के साथ सटे जिला मोहाली में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सैटेलाइट की पकड़ में आए है। प्रशासन के अधिकारियों ने 125 से ज्यादा किसानों पर जुर्माना लगाया है। वहीं, 40 से ज्यादा केस दर्ज किए गए है। पराली जलाने के कारण मोहाली की हवा पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा जहरीली हुई है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक मोहाली में वातावरण प्रदूषित होने का मुख्य कारण पराली का जलना है। जिले का डेराबस्सी ब्लाक पराली जलाने में सबसे आगे है, जबकि खरड़ ब्लाक दूसरे नंबर पर है। बता दें कि दो साल पहले मोहाली राज्य के उन बेहतरीन जिलों में शुमार रहा है, जहां पराली जलाने के कम मामले दर्ज किए गए थे। पिछले दो साल से मोहाली में फिर से पराली जलाने के मामले सामने आ रहे है।

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ग्राम स्तर पर तैनात की गई नोडल अधिकारियों की टीमों सहित रैपिड रिस्पांस टीमों का कहना है कि जिले में 50 फीसद से ज्यादा पराली जलाई गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जिले में सैटेलाइट से इस साल पराली जलाने के 262 मामले सामने आए हैं। इसी कारण मोहाली राज्य में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। पठानकोट पिछले पांच साल से लगातार सबसे कम पराली जलाने वाला जिला बना हुआ है। मोहाली का पड़ोसी रोपड़ पिछले दो साल से जिले को पछाड़ रहा है। इस बार शहीद भगत सिंह नगर यानी नवांशहर जिला भी मोहाली को मात देकर अपनी स्थिति में सुधार करने में कामयाब रहा। इस साल पठानकोट में महज 11, शहीद भगत सिंह नगर में 192 और रोपड़ में 209 मामले दर्ज किए गए हैं।

2019 में मोहाली में पराली जलाने के 201 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि पठानकोट में सिर्फ 4 और रोपड़ में 131 मामले आए थे। 2018 में भी पठानकोट पराली जलाने के 9 मामलों के साथ राज्य में अव्वल था, जबकि रोपड़ 82 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर व मोहाली 144 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर था। 2017 में भी पठानकोट पराली जलाने के 13 मामलों के साथ राज्य में अव्वल रहा था, जबकि 168 मामलों के साथ मोहाली दूसरे स्थान पर था। वहीं वर्ष 2016 में मोहाली जिला 240 मामलों के साथ राज्य में दूसरे स्थान पर रहा था। पहला स्थान पठानकोट का था, जब वहां पराली जलाने के महज 28 मामले रिकार्ड किए गए थे।

मोहाली के डेराबस्सी ब्लाक में 2017 से 2019 तक सबसे ज्यादा पराली जलने के मामले सामने आए है। 2016 के दौरान जिले में सबसे ज्यादा पराली जलाने वाला खरड़ ब्लाक 2017 और 2018 में सुधरा, लेकिन 2019 में फिर से खरड़ के किसानों ने पराली जलाने के मामले बढ़ा दिए। डीसी मोहाली गिरिश दयालन ने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों के रेवेन्यू रिकार्ड में रेड एंट्री की जा रही हे। इसके लिए सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश फिर से जारी कर दिए हैं। जिस जमीन के रेवेन्यू रिकार्ड में रेड एंट्री हो जाती है, फिर उसे न तो बेचा जा सकता है और न ही उस पर लोन ही लिया जा सकता है।


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