सिर में चोट लगने से हुई मौत, जाते-जाते पांच लोगों को नई जिंदगी दे गए मलकीत
हिमाचल कांगड़ा जिले के बलियाना के 24 साल के मलकीत सिंह मित्तु ने दुनिया से जाते-जाते भी पांच लोगों की जिंदगी में खुशियां भर दी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हिमाचल कांगड़ा जिले के बलियाना के 24 साल के मलकीत सिंह मित्तु ने दुनिया से जाते-जाते भी पांच लोगों की जिंदगी में खुशियां भर दी। मलकीत जीते जी राक्तदान और मरने के बाद अंगदान के अभियान को चरितार्थ कर गए। मोहाली के एक निजी कंपनी में कार्यरत मलकीत की 27 अप्रैल को गिरने से हेड इंजरी हुई थी। इलाज के लिए परिजनों ने पीजीआइ में भर्ती कराया। जहां इलाज के दौरान 28 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। 28 अप्रैल को देर रात करीब 11 बजकर 35 मिनट पर मलकीत सिंह को ब्रेन डेड घोषित किया गया। परिजनों की अनुमति से मलकीत का ऑर्गन और कॉर्निया डोनेट किया गया। जिसे पीजीआइ की वेटिंग लिस्ट में शामिल मरीजों को डोनेट कर उन्हें नई जिंदगी दी गई है।
पिता ने कहा-मेरा बेटा दूसरों के लिए जीता था
मेरा बेटा दूसरों के लिए जीता था। हमेशा रक्तदान करता था, ताकि किसी की जिंदगी बचाई जा सके। अब दुनिया से जाकर भी उसने दूसरों की जिंदगी में खुशियां लाने का काम किया है। मुङो गर्व है अपने बेटे पर, यह कहना है मलकीत के पिता नरेश का। जिन्होंने अंगदान के महान कार्य के लिए सहमति देकर अपने बेटे को अमर कर दिया। वहीं मां निर्मला देवी का कहना है कि एक झटके में हमारी खुशियां खत्म हो गई, लेकिन इस बात का सुकून है कि मेरे बेटे ने ऐसा काम किया है, जिससे वे दुनिया से जाने के बाद भी दूसरों में जिंदा रहेगा।