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18 लेजिस्लेटिव सेक्रेटरी की नियुक्ति को सरकार लाएगी ऑर्डिनेंस

-शेष विधायकों को बोर्ड, कॉर्पोरेशन के चेयरमैन बनाने के लिए एक्ट में होगा संशोधन

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 May 2018 09:43 PM (IST)Updated: Wed, 02 May 2018 09:43 PM (IST)
18 लेजिस्लेटिव सेक्रेटरी की नियुक्ति को सरकार लाएगी ऑर्डिनेंस
18 लेजिस्लेटिव सेक्रेटरी की नियुक्ति को सरकार लाएगी ऑर्डिनेंस

-शेष विधायकों को बोर्ड, कॉर्पोरेशन के चेयरमैन बनाने के लिए एक्ट में होगा संशोधन

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-ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट तैयार करके एडवोकेट जनरल को कानूनी राय के लिए भेजा

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इंद्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़: 18 मंत्री, एक स्पीकर, एक डिप्टी स्पीकर बनाने के बाद शेष बचे 57 विधायकों को एडजस्ट करने के लिए कैप्टन सरकार दो ऑर्डिनेंस ला सकती है। इनमें मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की जगह 18 विधायकों को लेजिस्लेटिव सेक्रेटरी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट तैयार करके एडवोकेट जनरल को कानूनी राय के लिए भेज दिया गया है। मुख्य संसदीय सचिवों के पदों पर नियुक्ति देने वाली याचिका को हाईकोर्ट खारिज कर चुका है। ऐसे में नया ऑर्डिनेंस किसी संविधान की अन्य धारा में बनाया जाएगा। यानी इसकी नियुक्ति मुख्यमंत्री की ओर से न करके स्पीकर की ओर से करवाई जाएगी, लेकिन यह स्पष्ट किया जा सकता है कि नियुक्ति मुख्यमंत्री की सिफारिश पर होगी।

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ऐसा होगा प्रारूप

-मौका: लेजिस्लेटिव सेक्रेटरीज में पहली बार बनने वाले विधायकों को मौका मिल सकता है। इन पदों पर उनकी नियुक्ति के आसार हैं। इनकी संख्या 18 हो सकती है।

-काम: इनका काम केवल आम लोगों की तकलीफों को सुनना, संबंधित महकमे से उन्हें हल करवाने के लिए सिफारिश करना होगा।

-सुविधाएं: विधायकों को पहले से ही वेतन, भत्ते और गाड़ी के पेट्रोल समेत सभी तरह की सुविधाएं मिली हुई हैं, इसलिए इससे खजाने पर ज्यादा बोझ पड़ने की संभावना नहीं है।

-नियुक्ति: इस बात की संभावना है कि अगर कानूनी राय समय पर मिल जाती है, तो 8 मई को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में इस मामले को लाया जा सकता है, जिससे नियुक्ति का रास्ता साफ होगा।

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बोर्ड, कॉर्पोरेशंस के चेयरमैन बन सकेंगे विधायक

विधायकों को बोर्ड और कॉर्पोरेशन के चेयरमैन लगाकर भी एडजस्ट किया जाएगा। विधायक 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' (लाभ का पद) के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार पंजाब स्टेट लेजिस्लेचर प्रिवेंशन ऑफ डिसक्वालिफिकेशन एक्ट-1952 में संशोधन करने को लेकर दुविधा में है। एक राय यह है कि इसकी जरूरत नहीं है, जबकि एडवोकेट जनरल ऑफिस का कहना है कि जिन-जिन पदों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से बाहर रखा गया है, उनमें विधायक को भी शामिल करके एक्ट में संशोधन कर लिया जाए। टिकट न पाने वाले हो सकते हैं नाराज

चुनाव में उतरने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने टिकट दावेदारों को कम करने के लिए उनसे वादा किया था कि जो नेता कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार को जितवाकर लाएंगे, उन्हें बोर्ड व कॉर्पोरेशन का चेयरमैन नियुक्त किया जाएगा, लेकिन अब वहां भी विधायकों को नियुक्त करने से ठीक उसी तरह की नाराजगी पैदा हो सकती है, जैसी अनुसूचित जाति व पिछड़ी श्रेणी के विधायकों को मंत्री न बनाए जाने के कारण पैदा हुई थी। खत्म नहीं होंगे बोर्ड, कॉर्पोरेशन

सरकार के खर्च को कम करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन बोर्ड व कॉर्पोरेशन को खत्म करने का एलान किया था, जो सरकार पर बोझ हैं, लेकिन अब लगता है कि अपने विधायकों व नेताओं को एडजस्ट करने के लिए इनको भी बनाए रखा जाएगा।


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