चंडीगढ़ में कोरोना संक्रमण के कारण 110 बच्चों के सिर से उठा माता-पिता का साया, आर्थिक तंगी बनी परेशानी
कोरोना संक्रमण के कारण चंडीगढ़ के 100 से ज्यादा बच्चे अपने माता या पिता को खो चुके हैं। जिन बच्चों के माता या पिता का देहांत हो चुका है उन्हें अब आर्थिक तौर पर सबसे बड़ी परेशानी सामने आ रही है।
चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। कोरोना संक्रमण के कारण चंडीगढ़ के 100 से ज्यादा बच्चे अपने माता या पिता को खो चुके हैं। जिन बच्चों के माता या पिता का देहांत हो चुका है, उन्हें अब आर्थिक तौर पर सबसे बड़ी परेशानी सामने आ रही है। चंडीगढ़ सोशल वेलफेयर विभाग और शिक्षा विभाग ने अपने-अपने स्तर पर बच्चों का सर्वे किया था। जिसमें इस बात का पता चला है कि शहर में करीब 110 स्टूडेंट्स हैं जिन्होंने कोरोना से अपने अभिभावकों को खो दिया है। इस कार्य के लिए शहर के टीचर्स के अलावा सोशल वेलफेयर की हेल्पलाइन भी काम कर रही है। जहां पर बच्चों की पहचान की जा रही है।
बच्चों के लिए बनाई गई 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन पर जानकारी मिलने के बाद चाइल्ड हेल्पलाइन बच्चों को अडॉप्ट करती है और उसके बाद उन्हें आशियाना सेक्टर-15 या मलोया स्थित स्नेहालय में शरण दी जाती है। शेल्टर होम में रहने के दौरान स्टूडेंट्स के खाने-पीने से लेकर कपड़ों और पढ़ाई का भी इंतजाम किया जाता है। कोरोना काल में करीब 30 बच्चे चाइल्ड हेल्पलाइन को मिले है जिनके माता या पिता की मौत हो गई या फिर माता या पिता की मौत कोरोना से पहले किसी कारण से हो चुकी है और उन्हें इस समय पर सबसे ज्यादा परेशानी पैसे की आ रही है। हेल्पलाइन ने बच्चों को रेस्क्यू करके शेल्टर होम में दिलाया है और उसके साथ जिन बच्चों को घर में राशन या फिर कोई अन्य जरूरत थी उसे भी पूरा किया है।
181 पर भी आ रही शिकायतें
बच्चों की मदद के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के अलावा महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन 181 को भी लांच किया गया है। जिस पर भी कई बच्चे रेस्क्यू किए गए हैं उन्हें हेल्पलाइन द्वारा अडॉप्ट करने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की तरफ से सहयोग दिया जा रहा है। एक साल के भीतर 181 हेल्पलाइन पर 10 से 15 बच्चे ऐसे मिले हैं जिन्हें पैसे की जरूरत थी।
सरकारी स्कूलों में 40 जबकि प्राइवेट में 70 से ज्यादा स्टूडेंट आए सामने
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने बच्चों की मदद करने के लिए सरकारी स्कूलों में सर्वे कराया था। जिसमें 40 बच्चे ऐसे मिले थे जिनके माता या पिता का देहांत कोरोना से हो गया था। उन स्टूडेंट्स को नौवीं से 12वीं कक्षा तक इक्नॉमिकल वीकर सेक्शन कैटेगरी के तहत शिक्षा देने की प्लानिंग चल रही है। उसी बीच अब प्राइवेट स्कूलों से भी माता-पिता खो चुके बच्चों की जानकारी शिक्षा विभाग को मिलनी शुरू हो गई है। अब तक प्राइवेट स्कूलों से 70 के करीब स्टूडेंट्स की जानकारी आ चुकी है। सभी स्टूडेंट्स की सबसे बड़ी परेशानी पैसे की सामने आ रही है। जिनके पास पढ़ाई करने या फिर रोटी खाने के लिए भी पैसे की कमी देखने को मिल रही है।
भारत विकास परिषद ने अडॉप्ट किए बच्चे
सोशल वेलफेयर और चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के सर्वे के अलावा भारत विकास परिषद अब तक छह बच्चों को अडोप्ट कर चुका है। जिनके घर में पैसों की कमी के चलते खाने की परेशानी आ रही थी। इन बच्चों को भारत विकास परिषद की तरफ से राशन मुहैया कराया गया है ताकि उनका पेट भरता रहे।